• 07 Jun, 2025

पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना पर जुलाई 2024 के सामूहिक विरोध प्रदर्शनों पर व्यवस्थित हमले की घातक कार्रवाई में भूमिका के लिए ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ का आरोप

पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना पर जुलाई 2024 के सामूहिक विरोध प्रदर्शनों पर व्यवस्थित हमले की घातक कार्रवाई में  भूमिका के लिए  ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ का आरोप

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण का मानवता के विरुद्ध अपराध” का आरोप
अगस्त में देश भर में हुई सामूहिक हत्याओं के पीछे “मुख्य भड़काने वाली” के रूप में
1500 हत्या, 25000 घायल और अनगिनत लोगों को यातना और अमानवीय व्यवहार का सामना
शेख हसीना ने आरोपों को खारिज कर दिया है
शेख हसीना अपने 200 नेताओं के साथ भारत में स्व-निर्वासन में अपनी पार्टी चला रही हैं ।
सूर्याश स्वरुप अन्तरराष्ट्रीय कन्टेन्ट क्रियेटर इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी
कानपुर 3 जून, 2025
1 जून, 2025, बांग्लादेश पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना पर जुलाई 2024 के सामूहिक विरोध प्रदर्शनों पर व्यवस्थित हमले की घातक कार्रवाई में उनकी कथित भूमिका के लिए अभियोजकों द्वारा “मानवता के विरुद्ध अपराध” का आरोप लगाया है।
बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना को पिछले साल जुलाई और अगस्त में देश भर में हुई सामूहिक हत्याओं के पीछे “मुख्य भड़काने वाली” के रूप में पहचाना है।
हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी मामून को भी मामले में सह-आरोपी बनाया गया है।
जांचकर्ताओं ने एक रिपोर्ट में 12 मई, 2025 को जांचकर्ताओं ने पे आरोप लगाया गया था कि हसीना ने हत्याओं का आदेश दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने दावा किया कि 1,500 से अधिक लोग मारे, 25,000 से अधिक घायल और अनगिनत अन्य लोगों को यातना और अन्य प्रकार के अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा।
शेख हसीना ने अपने खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया है और शेख हसीना अपने 200 नेताओं के साथ भारत में स्व-निर्वासन में अपनी पार्टी चला रही हैं ।
शेख हसीना के अनुसार पांच अगस्त को उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश ठीक उसी तरह रची गई थी जैसे कि 1975 में उनके पिता शेख मुजीब-उर-रहमान को मारा गया था. उन्होंने कहा कि यूनुस सत्ता के भूखे हैं, इसीलिए वह पूजास्थलों को हमलों से बचा नहीं पा रहे हैं. नरसंहार के मास्टरमाइंड हैं यूनुस- हसीना अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण इस्तीफा देने के बाद भारत में शरण लेने के बाद हसीना का यह पहला सार्वजनिक संबोधन था. उन्होंने 5 अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, "हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को राजभवन की ओर भेजा गया. अगर सुरक्षा गार्डों ने गोली चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी. यह 25-30 मिनट का मामला था, और मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मैंने उनसे (गार्डों से)कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, गोली न चलाएं.