• 14 Sep, 2025

धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों न्योछावर वीर साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को सादर नमन।

धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर  सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों  न्योछावर वीर साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को सादर नमन।

सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों के अद्वितीय बलिदान और साहस को सादर नमन। 26 दिसंबर को 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर मुगल सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया था. प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है, साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को सादर नमन। टेलीकास्टटूडे की ओर से शहादत को सादर नमन।

सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों के अद्वितीय बलिदान और साहस को सादर नमन।   
26 दिसंबर को 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर मुगल सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया था.   
प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को  वीर बाल दिवस मनाया जाता है,   
 साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को सादर नमन। 
टेलीकास्टटूडे की ओर से  शहादत को सादर नमन।   
कानपुर:26 दिसंबर, 2024    
कानपुर:26 दिसंबर, 2024  सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों के अद्वितीय बलिदान और साहस के प्रति सम्मान जताने के लिए मनाया जाता है. साहिबजादों के त्याग, बलिदान और समर्पण को देश 'वीर बाल दिवस' के रूप में याद रखता है। कानपुर के सभी क्षेत्रो सहित विश्व मे  मनाया जाता है ।  गलियारे से गुरुद्वारे तक सजाये जाते है । कानपुर कल्चर के अनुरुप सभी धर्मो के लोग इस पर्व को हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाई आपस मे है भाई भाई के कानपुर कलपर के अनुरुप  मनाते है ।  प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को  वीर बाल दिवस मनाया जाता है, यह दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में समर्पित है। इन बच्चों ने इस्लाम धर्म को न मानने के कारण  बलिदान दिया था। इस दिन का उद्देश्य नई पीढ़ी को उनके बलिदान और साहस की कहानियों से अवगत कराना है, ताकि वे अपने पूर्वजों के बलिदान को जान सकें और आत्मगौरव का अनुभव कर सकें.
विभिन्न  संस्थानों में वीर बाल दिवस  सप्ताह के  अन्तर्गत  राष्ट्र निर्माण में बच्चों की भूमिका  पर आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें किशोरों को विभिन्न रचनात्मक लेखन जैसे चित्रकला, कहानी लेखन, और निबंध लेखन कविता, वाद-विवाद, और डिजिटल प्रेजेंटेशन   आदि गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी जिनका उद्देश्य छात्रों को साहिबजादों के बलिदान के सन्दर्भ मे अवगत कराना है ।
 26 दिसंबर को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, दिल्ली में प्रधान मंत्री  द्वारा एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रमुख शिक्षाविदों, छात्रों और समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़ने का अवसर मिलेगा[
 उत्तर प्रदेश में, छात्र-छात्राओं को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक कार्यक्रम और शहीदी झांकियाँ भी आयोजित की जाएँगी[।
 इस दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि यह कदम हमें सिख गुरुओं की शहादत को हमेशा याद कराने का काम करेगा। उन्हें उम्मीद है कि यह पर्व सभी बच्चों खासकर युवाओं को प्रेरणा देगा[
 वीर बाल दिवस न केवल एक स्मृति दिवस है, बल्कि यह हमें साहस और बलिदान की कहानियों को साझा करने और हमारी गौरवमयी संस्कृति और इतिहास को संजीवनी देने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन की गतिविधियों के माध्यम से, नई पीढ़ी ज्ञान और भक्ति की परम्परा अवशोषित कर सकेगी।
26 दिसंबर को 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर मुगल सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया था. 26 दिसंबर को सरहिंद के नवाज वजीर खान ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को खुले आसमान के नीचे कैद कर दिया. वजीर खान ने दोनों छोटे साहिबजादों को धर्म परिवर्तन के लिए कहा लेकिन दोनों साहिबजादों ने 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' के जयकारे लगाते हुए धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया. वजीर खान ने दोनों साहिबजादों से कहा कि कल तक या तो धर्म परिवर्तन करो या मरने के लिए तैयार रहो.
दोनों साहिबजादों को बेहद प्यार से तैयार करके दोबारा से वजीर खान की अदालत मे  भेजा.  वजीर खान ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने को कहा लेकिन  साहिबजादों ने मना कर दिया और फिर से जयकारे लगाने लगे. यह सुन वजीर खान ने गुस्सा में आकर दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया. उनकी   शहादत को नमन व करने के लिए  सम्पूर्ण भारत में  वीर बाल सप्ताह मनाना शुरू किया गया था.
वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जो सिख बलिदान  से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दिन है. सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को सम्मानित करना है.  भारत सरकार ने  निर्णय लिया है.कि देश के युवा और बच्चों को उनके उत्कृष्ट योगदान और कार्यों के लिए सम्मानित करना है.

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management