• 03 Jul, 2025

केंद्रीय मंत्रियों के बच्चे विदेशों में अंग्रेजी शिक्षा ले रहे हैं वे जनता को अंग्रेजी के खिलाफ भ्रमित कर रहे हैं : हिन्दी के पक्षधर पर अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा कांग्रेस

केंद्रीय मंत्रियों के बच्चे विदेशों में अंग्रेजी शिक्षा ले रहे हैं वे जनता को अंग्रेजी के खिलाफ भ्रमित कर रहे हैं : हिन्दी के पक्षधर पर अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा कांग्रेस

अंग्रेजी एक पुल है, ताकत है और जंजीरों को तोड़ने का एक साधन है, बाधा नहीं।   
भाजपा-आरएसएस  अंग्रेजी शिक्षा का विरोध कर आगे बढ़ने से रोकते    
रोजगार आत्मविश्वास के लिए मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भी महत्वपूर्ण    
अंग्रेजी  अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्वीकार    
अंग्रेजी ताकत है, शर्म नहीं।   
अंग्रेजी शिक्षा को रोजगार, आत्मविश्वास और समानता का मार्ग माना जाता है।   
अमित शाह  अंग्रेजी शिक्षा में बाधा डालजानबूझकर अवसरों से वंचित कर रहे   
अंग्रेजी  नए अवसरों तक पहुँचने के साधन के रूप में    
इंटरनेट, एआई और उन्नत प्रौद्योगिकियों के युग में अंग्रेजी का महत्व    
कांग्रेस हिंदी को प्राथमिकता  अंग्रेजी वैश्विक स्तर पर नए अवसर खोलती है।   
कांग्रेस का लक्ष्य गरीब, मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी  को बढ़ावा   
कानपुर 21 जून 2025  
सोशल मीडिया पोस्ट से
अंग्रेज़ी बाँध नहीं, पुल है। अंग्रेज़ी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेज़ी ज़ंजीर नहीं - ज़ंजीरें तोड़ने का औज़ार है। BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का ग़रीब बच्चा अंग्रेज़ी सीखे - क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में, अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी है जितनी आपकी मातृभाषा - क्योंकि यही रोज़गार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी। भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है - और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गरीबों तथा मध्यम वर्ग एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करीब 3700 महात्मा गांधी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों की स्थापना की। इस फैसले से करीब 6.50 लाख विद्यार्थियों को अंग्रेजी शिक्षा मिलता शुरू हुई। अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों के लिए विशेष कैडर निर्माण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए 10,000 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की। राज्य में आई भाजपा सरकार ने इन अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को बन्द करने का प्रयास किया परन्तु जनता में इनकी लोकप्रियता के कारण ऐसा कदम नहीं उठा सकी। कांग्रेस पार्टी, श्री
@RahulGandhi और हम सब हिन्दी के भी पक्षधर हैं परन्तु अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है जो सभी के लिए दुनिया के नए रास्ते खोलती है। गृहमंत्री श्री अमित शाह एवं भाजपा-RSS के तमाम लोग अंग्रेजी के खिलाफ रहते हैं हालांकि देश की जनता जानती है कि अधिकांश केन्द्रीय मंत्रियों के बच्चे विदेशों में अंग्रेजी शिक्षा ले रहे हैं और यहां वो जनता को भ्रमित करते हैं। बचपन में हम लोग भी अंग्रेजी का विरोध करते थे लेकिन अंग्रेजी समय की आवश्यकता हो गई इसलिए हमने भी खुद की अप्रोच में बदलाव किया। आज कंप्यूटर, इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में अंग्रेजी के माध्यम से युवा पीढ़ी जीवन में पूरी तरह कामयाब हो सकती है।
अंग्रेज़ी शर्म नहीं, शक्ति है। BJP-RSS नहीं चाहते कि ग़रीब का बच्चा अंग्रेज़ी सीखे, क्योंकि उन्हें डर है कि जब आप अंग्रेज़ी सीखेंगे, तो सवाल पूछेंगे, हक़ माँगेंगे। हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखाइए, यही रोज़गार, आत्मविश्वास और बराबरी का रास्ता है। मातृभाषा आत्मा है, अंग्रेज़ी शक्ति! : नेता प्रतिपक्ष श्री
राहुल जी रास्ता दिखा रहे हैँ अमित शाह जी भटका रहे हैँ अंग्रेजी वश्विक भाषा हैं तालीम से तरक्की का रास्ता खुलता है गृह मंत्री
@AmitShah सोची समझी रणनीति के तहत लोगों को अंग्रेजी से वंचित कर उनके अवसरो के द्वार अवरुद्ध करना चाहते हैँ.. संघ और भाजपा के लोग जो अंग्रेजी का विरोध करते थे उनके बच्चे अंग्रेजी में तालीम लेकर बड़े बड़े चिकित्सक, अभियंता, जज, कळक्टर, कप्तान प्रोफेसर उद्यमी, और चोटी के वकील बन बैठे हैँ.. बहुजनो और गरीबो के अंग्रेजी दुनिया भर मे नये अवसरो के लिए एक माध्यम हैँ.. नेता प्रतिपक्ष
@RahulGandhi जी गरीबो के सपनो को साकार करने के लिए अंग्रेजी को सशक्त माध्यम मानते हैं
दुनिया में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है. लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि भारत में अंग्रेजी सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन चुकी है! एक क्रोएशियाई छात्रा को हिंदी बोलने पर गर्व है. लेकिन भारत में विपक्ष को दर्द है कि प्रधानमंत्री
@narendramodi को अंग्रेजी नहीं आती! हर विकसित राष्ट्र अपनी भाषा को प्राथमिकता देता है. लेकिन स्वाधीनता के दशकों बाद भी कुछ लोग है, जो भारत पर अंग्रेजी थोपकर उसे गुलामी की मानसिकता में जकड़े रखना चाहते है.
अंग्रेज़ी बाँध नहीं, पुल है। अंग्रेज़ी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेज़ी ज़ंजीर नहीं - ज़ंजीरें तोड़ने का औज़ार है। BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का ग़रीब बच्चा अंग्रेज़ी सीखे - क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में, अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी है जितनी आपकी मातृभाषा - क्योंकि यही रोज़गार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी। भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है - और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे।@RahulGandhi जी।
बिहार चुनाव साधने की जुगत में BJP के नित नये विभाजनकारी नैरेटिव : यह बात समझ लीजिए साथियों — ये बहस हिंदी बनाम अंग्रेज़ी की नहीं है. असल बात ये है कि BJP के हिंदू-मुस्लिम वाले अजेंडे में इतनी सड़ान्ध हो गई थी और इतनी इतनी बदबू आने लगी थी कि इनके अपने समर्थकों ने भी नाक बंद कर ली! तो अब क्या किया इन्होंने? पहले इस्राइल-फिलस्तीन का मुद्दा उछाला, और अब आ गए हैं हिंदी-इंग्लिश की झूठी लड़ाई पर…. इनका असली खेल यह है: ये चाहते हैं कि विपक्ष किसी तरह ये कह दे — “हिंदी अच्छी है, लेकिन इंग्लिश ज़रूरी है क्योंकि उससे ज्यादा लोगों तक पहुँचा जा सकता है.” और फिर BJP प्रचार करेगी — देखिए, विपक्ष तो अंग्रेज़ीदां लोगों का गिरोह है! यही इनका नया पैंतरा है — बिहार चुनाव को फिर से एक और नकली मुद्दे से साधने की चाल. तो पहचानिए इस चाल को, जैसे मैंने पहचाना है — और इनके इस मूर्खतापूर्ण, विभाजनकारी एजेंडे में न फँसिए, न किसी और को फँसने दीजिए.
मैं श्री महिपाल ढाँडा की इस बात से तो सहमत हूँ कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, हमें इस पर गर्व है और अगर किसी को अंग्रेज़ी नहीं आती, तो इसमें कोई शर्म या दिक्कत की बात नहीं है। पर बतौर हरियाणा के शिक्षा मंत्री के उनकी बात ये सही नहीं है कि हमारे युवाओं, हमारी अगली पीढ़ियों को हिंदी के साथ अंग्रेज़ी सीखने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार तो हम उन्हें दुनिया भर में आगे बढ़ने से वंचित कर देंगे। अंग्रेज़ी जानने और सीखने में न हिचक होनी चाहिए और न ही इसका अनावश्यक विरोध करने की आवश्यकता है। अंग्रेज़ी दुनिया भर में, ख़ास तौर से दक्षिण भारत में, एक ‘लिंक लैंग्वेज’ है। अंग्रेज़ी जानने से रोज़गार के साथ साथ तकनीक व विज्ञान के अनगिनत दरवाज़े खुलते हैं, संभावनें बढ़ जाती हैं। मैं तीन उदाहरण दूँगा-: 1. हरियाणा में नौकरी न मिलने से रोज़ी रोटी की तलाश में हरियाणा के लाखों लड़के-लड़कियां विदेशों में चले गए हैं और वहाँ अंग्रेज़ी की कमज़ोरी रोज़ उन्हें खलती है। अगर हमने उन्हें हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी भी सिखाई होती तो उन्हें नये सिरे से सीखना नहीं पड़ता। यही स्तिथि हरियाणा के उन बच्चों की भी है जो लाखों की संख्या में विदेश पढ़ने जा रहे हैं । 2. गुरुग्राम में ही दिल्ली और देश से दस लाख से अधिक लोग काम करते हैं और इनमें से अधिकतर हरियाणा से बाहर से हैं। कारण - काल सेंटर हो या सॉफ्टवेर कंपनी, सबमें ही फ़्लूएंट अंग्रेज़ी जानना नौकरी पाने के लिए अनिवार्य है। अगर हरियाणा के युवा, जो बहुत गुणी हैं, अच्छे से अंग्रेज़ी में निपुण हों तो उन्हें अपने प्रांत में बेहतरीन रोज़गार में मदद मिलेगी। अच्छे रोज़गार का यही मापदंड पुणे, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवंतापुरम की IT, सॉफ्टवेयर, टेक्नोलॉजी कंपनियों में भी है। 3. इंटरनेट, इथरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, सोलर व हाइड्रोजन रेवोलुशन के युग में पूरी दुनिया तेज़ी से बदल रही है। ज्ञान, विज्ञान, तकनीक, इनोवेशन ही भविष्य की कुंजी है। इन सबके लिए भी लिंक लैंग्वेज अंग्रेज़ी है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने युवाओं को हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी में भी ट्रेन करें। यह प्रदेश के लिए भी जरूरी है और युवाओं के भविष्य के लिये भी। उम्मीद है इसे अलीचना के तौर पर नहीं बल्कि सार्थक सुझाव के तौर पर देख, जरूरी दुरस्ती के कदम उठायेंगे।
नई दिल्ली  21 जून 2025  
 "कांग्रेस हिंदी को प्राथमिकता देती है, लेकिन अंग्रेजी नए रास्ते खोलती है," अशोक गहलोत का  बयान किइस बात पर जोर देता है कि हिंदी के प्रति उनकी निष्ठा के बावजूद अंग्रेजी एक महत्वपूर्ण भाषा है जो वैश्विक स्तर पर अवसरों का विस्तार करती है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अंग्रेजी के खिलाफ बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के सभी नेता हिंदी के पक्षधर हैं, लेकिन अब की तारीख में अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि "बचपन में हम लोग भी अंग्रेजी का विरोध करते थे लेकिन अंग्रेजी समय की आवश्यकता हो गई"।
 केंद्रीय मंत्रियों के बच्चे विदेशों में अंग्रेजी शिक्षा ले रहे हैं वे जनता को अंग्रेजी के खिलाफ भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राजस्थान में 3700 महात्मा गांधी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों की स्थापना की बात की, जिससे 6.50 लाख विद्यार्थियों को अंग्रेजी शिक्षा मिली। गहलोत ने यह भी उल्लेख किया कि यदि उनकी सरकार फिर से बनती है, तो राज्य के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा मिलेगी।
गहलोत ने अपनी बात को संतुलित रखते हुए कहा कि आज के डिजिटल युग में जहां कंप्यूटर, इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्वपूर्ण स्थान है, अंग्रेजी भाषा के माध्यम से युवा पीढ़ी को सफलता के नए दरवाजे खुलते हैं।
अशोक गहलोत का विचार  है कि हिंदी को प्राथमिकता के साथ अंग्रेजी का ज्ञान  आवश्यक  है जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद करता है। कांग्रेस का लक्ष्य गरीबों, मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देना है ।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management