• 14 Sep, 2025

अनूप कुमार शुक्ल महासचिव कानपुर इतिहास समिति की सोशल मीडिया पोस्ट से : अगस्त क्रान्ति 1942 : भारत छोड़ो आंदोलन एवं कानपुर

अनूप कुमार शुक्ल  महासचिव कानपुर इतिहास समिति  की सोशल मीडिया पोस्ट से : अगस्त क्रान्ति 1942 : भारत छोड़ो आंदोलन एवं कानपुर


-भारत छोड़ो आन्दोलन की पृष्ठभूमि जुलाई 1942 में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक से
- ब्रिटिश शासन के अंत की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- 8 अगस्त 1942 को बम्बई में बैठक में महात्मा गाँधी ने "करो या मरों" का मंत्र दिया।
- आन्दोलन का आधार छात्र, मजदूर और किसान, उच्च वर्ग और नौकरशाह सरकार के प्रति वफादार
- 9 अगस्त को महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी से जनता में रोष
- कांग्रेस को असंवैधानिक घोषित
- आन्दोलन में व्यापक तोड़फोड़
कानपुर : 9 अगस्त 2025:
Anoop Shukla 2 घंटे
अगस्त क्रान्ति 1942 : भारत छोड़ो आंदोलन एवं कानपुर
कांग्रेस द्वारा चलाये गये भारत छोड़ो आन्दोलन की पृष्ठ भूमि बहुत पहले से बननी शुरू हो गयी थी। जुलाई 1942 में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक वर्धा में हुई। कार्य समिति में एक प्रस्ताव में कहा गया कि "जो घटनायें प्रतिदिन घट रही हैं और भारतवासियों को जो लगातार अनुभव हो रहा हैं उनसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इस धारणा की पुष्टि होती जा रही है कि भारत में ब्रिटिश शासन का अंत अति शीघ्र होना चाहिए। कांग्रेस ने निर्णय किया कि अब अंग्रेज सरकार से कहा जायेगा कि वह भारत को छोड़कर चली जाए। कांग्रेस कार्य समिति ने फैसला किया कि इस व्यापक संघर्ष का नेतृत्व महात्मा गाँधी करेगें।
8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक बम्बई में हुई जिसमें यह फैसला किया गया कि स्वाधीनता प्राप्त करने के सार्थक उपाय किये जायें। बैठक में ऐतिहासिक 8 अगस्त 1942 को "भारत छोड़ो" प्रस्ताव स्वीकार किया या। बम्बई में कांग्रेस के प्रतिनिधियों को 8 अगस्त रात्रि को महात्मा जी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि "इसलिये मैं अगर हो सके तो तत्काल इसी रात प्रभात से पहले 'स्वाधीनता' चाहता हूँ अब मैं आपको एक छोटा सा मंत्र दे रहा हूँ इसे आप अपने दिल में सजोकर रखे यह मंत्र है "करो या मरों" हम या तो भारत को स्वाधीन करायेंगे या इस प्रयास में मारे जायेगें। मगर हम अपनी पराधीनता को देखने के लिए जीवित नहीं रहेगें।
इस विद्रोह का आधार छात्र, मजदूर, किसान थे जबकि उच्च वर्ग के लोग व नौकर शाह इस दौरान सरकार के वफादार रहे जिनको खूब धिक्कारा गया । 9 अगस्त को तड़के महात्मा गाँधी एवं अन्य नेताओं की गिरफ्तारी से जनता का गुस्सा फूट पड़ा ।
भारत छोड़ो आंदोलन के तहत 9 अगस्त को ही अंग्रेज सरकार ने कांग्रेस पार्टी को एक असंवैधानिक संस्था घोषित कर दिया। कानपुर में कांग्रेस के मुख्यालय 'तिलक हाल' मेस्टन रोड पर सरकारी ताला लग गया। जेलें ठसाठस भर गई। सभी प्रथम् पंक्ति के नेता जेल के अन्दर थे, बचे वो नौजवान नेता, जो फरार हो गये और भूमिगत होकर आन्दोलन का नेतृत्व करने लगे। नेताओं के गिरफ्तार होने पर मजदूरों ने हड़ताल कर दी। गाँधी जी के पिछले आन्दोलन से अलग, इस आन्दोलन में 'यद्यपि हिंसा तो नहीं हुई. परन्तु व्यापक पैमाने पर तोड़ फोड़ हुई। तार काटे गये, सरकारी कार्यालय तथा पुलिस कार्यालयों में आग लगाई गई, रेल की पटरियाँ उखाड़ी गई। कानपुर भी पीछे न रहा। सेन्ट्रल स्टेशन पर बम फटा, मंधना रेलवे स्टेशन तथा नरोना पोस्ट-आफिस आदि में आग लगा दी गई। ऐसी कार्यवाहियाँ हिंसा के अन्तर्गत मानी जाएँ या अहिंसा के, इस बात की बहस बाद तक चलती रही। बड़े पैमाने पर क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण 'भारत छोड़ो' आन्दोलन को 'अगस्त क्रान्ति' के नाम से भी पुकारा गया क्योंकि इस क्रान्ति की शुरुआत अगस्त 1942 में हुई।
अगस्त क्रान्ति के सिंहावलोकन के संबन्ध में यह कहा जा सकता है कि गाँधी जी तथा कंग्रेस ने जनता को यह नहीं बताया कि उसे क्या करना है। यह एक आश्चर्य जनक सत्य है कि जनता को क्या करना है यह बात उसे गाँधी जी से नहीं बल्कि भारत सचिव 'एमरी' के समाचारपत्रों में छपे उस भाषण से ज्ञात हुई जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने आन्दोलन के विषय में जो तरीके चुने हैं, वे हैं उद्योग-धन्धों, व्यापार, प्रशासन अदालत आदि में हड़ताल करना, टेलीग्राफ और टेलीफोन के तार काटना तथा फौज की भर्ती वाले केन्द्रों पर धरना देना। इस भाषण से अधिकांश जनता को यह पता चला कि उसे क्या करना है?
 

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management