- कानपुर इतिहास समिति ने कन्हैया अष्टमी के अवसर पर कानपुर स्थापना दिवस मनाया
- कानपुर का प्राचीन नाम "कन्हापुर" रखने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित
- इतिहास को संरक्षित करने और महत्वपूर्ण विरासत इमारतों को बचाने की आवश्यकता
- मनोज कपूर ने स्थापना दिवस के दस्तावेजी प्रमाण की मांग
- क्रांति कुमार कटियार ने संबंधित पोस्ट शेयर की
- कानपुर दिवस अवधारणा दस्तावेजोंऔर इतिहास को सही तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता
कानपुर : 21 अगस्त 2025
क्रान्ति कुमार जी के पटल पर
मनोज कपूर साहब से कनपुरिया संवाद
कानपुर शहर में संगमरमर पत्थर प्रयोग में कब आया ??
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कानपुर इतिहास समिति द्वारा कन्हैया अष्टमी को कानपुर स्थापना दिवस मनाया गया इस पर एक फेसबुक पोस्ट Kranti Kumar katiyar जी ने डाली जो प्रस्तुत है ।
आज *"कानपुर इतिहास समिति"* की एक महत्वपूर्ण बैठक सरयू नारायण बाल विद्यालय, आजाद नगर, कानपुर में संपन्न हुई। आज के दिन भादौ बदी अष्टमी (कन्हैया अष्टमी) को कानपुर की स्थापना हुई थी।
इस अवसर पर आलोक कुमार श्रीवास्तव, भारत बागला, तारिक इब्राहिम, इं. क्रांति कुमार कटियार, आर्किटेक्ट सुरभि चंद्रा, डॉ. सुमन शुक्ला बाजपेई, महेंद्र सिंह बिष्ट, अनुराग सिंह, अनूप कुमार शुक्ला, एस के चंद्रा, जादूगर पीसी कानपुरी, रमेश दीक्षित गीतकार, कौस्तुभ ओमर रंगमंच अभिनेता, ज्ञान प्रकाश मिश्र, विकास टंडन, डॉ. भास्कर पांडे, शिवशरण त्रिपाठी दि मॉरल, डॉ. शालिनी मिश्रा आदि इतिहासकार बुद्धिजीवी लेखक संपादक आदि ने आज 19 जुलाई 2022 को भाग लिया।
कानपुर इतिहास समिति की इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि कानपुर का प्राचीन नाम कन्हापुर रखा जाए।
वक्ताओं ने कानपुर के गौरवमई इतिहास को इकठ्ठा करने, संरक्षित रखने, प्रकाशित करने, उसको जन-जन तक पहुंचाने और उसका डिजिटिलाइजेशन करने, कानपुर की टूट रही या तोड़ी जा रही महत्वपूर्ण विरासत वाली इमारतों को बचाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन अनूप शुक्ला जी ने किया। प्रस्तुति-- इं. क्रान्ति कुमार कटियार
कनिष्ठ उपाध्यक्ष, कानपुर इतिहास समिति
उक्त पोस्ट पर हमारे आदरणीय कनपुरिया मित्र साहित्य निकेतन के संचालक व कानपुरीयम संस्था के संस्थापक भाई मनोज कपूर साहब ने ऐतराज दर्ज कराते हुए लिखा कि
Manoj Kapoor इस स्थापना दिवस का दस्तावेजी प्रमाण देने का कष्ट करें।
इसके उत्तर में Kranti Kumar Katiyar जी ने लिखा
Manoj Kapoor जी, इस पर मैंने Anoop Shukla जी के द्वारा लिखित साभार पोस्ट अपनी फेसबुक पेज पर डाल दी है।
चूंकि पोस्ट अब मुझे भी टैग हो गई थी तो मैं भी पूरे प्रकरण से अवगत हो भाई मनोज कपूर साहब को लाला दरगाही लाल की किताब के आधार पर लिखी पोस्ट को शेयर कर दिया जिसका संदर्भ kranti Kumar katiyar जी ने दिया था जो प्रस्तुत है
Manoj Kapoor मनोज कपूर
कन्हैयाष्टमी को नींव पड़ी थी कान्हापुर (कानपुर) की
(दास्तान ए पुराना कानपुर)
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"जाजमऊ और बिठूर के दरमियान किनारा पर जानिब गस्त दरियाए गंग के एक मौजा कान्हापुर है | इस मौजे के वजह तसमिया के रवायफ मुखतलिक है | असखास मातवर और देरिना की जबानी दरियाफ्त होता है कि अमलदारी हिन्दुस्तानी मे जाजमऊ से बिठूर तक जंगल था | एक रोज भादौ बदी अष्टमी को जिसे कन्हैया अष्टमी भी कहते है ,हिन्दू सिंह राजा संचेण्डी गंगा नहाने आया था अच्छा मौका पसंद पड़ने से उसका इरादा हुआ कि इस जगह को मौजा आबाद किया जाय, हमराहियो ने बयान किया कि आज के दिन ऐसी साइति सही है जो मौजा आबाद होगा कि तमाम जहाँ मे उसकी शोहरत होगी | राजा ने उसी बखत बुनियाद आबादी की डाली | कन्हैयाष्टमी के रोज बुनियाद डालने से कान्हापुर नाम रखा और राजा घनश्याम सिंह चौहान रमईपुर वाले को जो उसके मतस्वान से था वास्ते आबादी के हुक्म दिया उसने दो फाटक पुख्ता शहरपनाह के तैयार कराये गंगा के किनारे पर एक मकान पुख्ता और घाट बनवाया | फाटक, मकान, घाट अब तक मौजूद है | आबादी के पंचनहा की तरफ पूरब को एक खाम नहर है जिसके निस्वत अक्सर असरखास बयान करते हैं कि अमलदारी मराठा मे परसाद रोली आमिल थे इस गरज से कहुदाई थी आबादी का महसरा हो जाए अब वो नहर बाय से अरसा के बतौर नावा के हो गई है | आबादी कान्हापुर के तखमीन १२५ बरस की मालूम होती है | हिन्दुस्तान अमलदारी मे कान्हापुर कभी कोई जिला या परगना या मोहाल नाम सद होना पाया नही जाता बजाय कान्हापुर के अक्सर कागजात मे कानपुर लिखा हुआ देखा है | अब बेस्तर कानपुर ही लिखा जाता है | मगर वजह तस्मिया उसकी साबित नही होती | इस मौजे मे ब्रहमन, ठाकुर, बेहना,दरजी, मल्लाह,और दूसरे अकबाक हुनूद रहते है | मुसलमान नामी एक भी नही है | ब्रहमन,ठाकुर,बेहना बाशिन्दगान कदीम इसी जिला का असला मुतसतका के है जो अपनी सकूनत कदीमी से वाकिफ व आगाह है | कोई मकान गढी, किला कोहरा मंदिर शिवाला घाट मस्जिद ऐसा नही है जिससे आबादी इस मौजे की कदीमी साबित हो आबादी के पचहाना की तरफ एक मूरत रामेसुर महादेव की स्थापित हुई जमाना आबादी की है मंदिर हाल मे बना है | चन्द घाट पुख्ता बनवाये हुए राजगान और रईसा के मौजूद है सबसे उम्दा लायक दाखिनीघाट दीपचन्द अगरवाला फरुखाबाद का था उस पर मकानात दोमंजिला बनाये गये थे इमारत मे हवेली सुकुनती उसी दीपचन्द की थी कारबार महाजनी थे और पैतृक सकूनत से हवेली मय घाट के मुनदहिम और विरान हो गयी | इस मौका मे राजा घनश्याम सिंह मसकूर की वो ठाकुर चौहान खानदान राजा मैनपुरी से तनहा जमीदारी करते रहे , हिन्दुस्तानी अमलदारी मे हो जाने से अमलदारी सरकार कम्पनी के बन्दोबस्त तीन साला १२१० फसली साल १२४० ई० मे समाधान पिदर हरीवाला कौम ब्रहमन दुबे के हुआ, घनश्याम सिंह के मरने के बाद सामन्त सिंह उसके बेटे हरीवाला परवा दबई मुगालता बन्दोबस्त स्पेशल कमीशनके नालिश की साहिब कमिश्नर मुकाम इलाहाबाद की तजवीज से आठवी अप्रैल १८३१ ई० को डिसमिस हो गई | इस मौजे मे कोई बायर या किसी किस्म का कारोबार तिजारत का जारी नही है | बख्त आने कचेहरी अदालत से बय से वकालात मुख्तारान और अहले मुकदमा कहरात आबादी की हुई थी कचेहरी अदालत के उठ जाने से किसी कदर बीरानी होगी अब कोई सूरत आबादी की नही होती तादात मकानात.........| "
( लाला दरगाहीलाल वकील की "तवारीख ए जिला कानपुर" साल १८७५ ई० मे छपे हिस्सा अव्वल के पेज- ६ व ७ एवं ८ का फारसी से तर्जुमा प्रस्तुत है , मैने तर्जुमा सुनकर लिखा है यदि कोई त्रुटि हो तो सुधार ले और अवगत भी कराये ) अनूप कुमार शुक्ल , महासचिव
कानपुर इतिहास समिति कानपुर
उक्त पोस्ट के अवलोकन के बाद भाई मनोज कपूर जी ने लिखा कि
Anoop Shukla लाला दरगाही लाल ने सुनी सुनाई बात लिखी है, ऐसा उन्होंने खुद लिखा है। भैरो मन्दिर में लगे शिलालेख में कान्हपुर का उल्लेख दरगाही लाल द्वारा बताई गई तारीख से पहले का है।
कभी अवकाश मिले तो हमारी पुस्तक " कानपुर : स्थापना का इतिहास " देखलें।
और फिर यह भी लिखा कि .....
ब्रिटिश सरकार का दस्तावेज़ नेविल का गज़ेटियर भी दरगाही लाल की बात और हिन्दू सिंह की कहानी को अस्वीकार करता है।
मैने भाई मनोज कपूर साहब को लिखा किमैंने भाई मनोज कपूर साहब को लिखा कि
Manoj Kapoor मनोज कपूर
जी सही कहा आपने लाला दरगाही लाल ने सवा सौ या डेढ़ सौ साल पहले की बाते सुनी व लिखी हैं ।
हां आपकी पुस्तक भी देखी हैं...
आपने भैरों मंदिर,भैरवघाट पर लगे संगमरमर के प्रस्तर पट्ट जिसे १४१९ ई. का माना है
मेरा प्रश्न आपकी पुस्तक संदर्भ से ही है कि कानपुर में संगमरमर पत्थर कब आया और कब से मिलने के साक्ष्य/ प्रमाण मिलते हैं क्या कानपुर में ६०० वर्ष या इससे पूर्व के प्रस्तर पट्ट भैरों मंदिर के अतिरिक्त भी कही मिलते हैं मिले हो तो अवगत करायें । इस प्रकार के प्रतीक श्लोक अंकित प्रस्तर पट्ट १९वी शती में भी मिलते है बिठूर में पेशवा बाजीराव द्वितीय द्वारा निर्मित सारस्वतेश्वर शिव मंदिर का प्रस्तर पट्ट का भी अवलोकन करे ।
और हां स्थापना दिवस मनाना या मानना व्यक्ति व संस्था के हैं । आप द्वारा२४ मार्च को कानपुर दिवस मनाने पर भी अभी तक इतिहासविद सहमत नहीं हैं ।
और आगे यह भी लिखा कि .....
Manoj Kapoor आपका कथन है कि
ब्रिटिश सरकार का दस्तावेज नेविल का गजेटियर दरगाही लाल की बात और हिन्दू सिंह की कहानी को अस्वीकार करता है ।
लेकिन मैं तो दरगाहीलाल के लिखे को सही मानता हूं इसलिए कानपुर स्थापना दिवस मनाया ।
भाई मनोज कपूर साहब ने लिखा कि ...भाई मनोज कपूर साहब ने लिखा है कि...
Anoop Shukla आप का मानना इतिहास सम्मत होना चाहिए। वरना अपने मन के राजा आप।
मैने भाई मनोज कपूर जी से पूंछ लिया कि
Manoj Kapoor मनोज कपूर
कानपुर दिवस मनाने की अवधारणा किन दस्तावेजो पर आधारित है ??
उन्होंने उत्तर मे लिखा कि .....
Anoop Shukla Anoop Shukla कानपुर दिवस कानपुर के ज्ञात अज्ञात निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के हेतु कानपुरीयम द्वारा आयोजित होता था।
मैने फिर अपने विद्वान मित्र मनोज कपूर साहब को लिखा कि मेरी मंशा भी तो यही है ।
Manoj Kapoor मनोज कपूर
यही अवधारणा तो मेरी भी है फिर दस्तावेज क्यो मांग रहे हो ।
लेकिन कानपुर शहर में संगमरमर पत्थर के सर्वप्रथम प्रयोग पर भी प्रकाश डालते तो अच्छा होता ।
- 14 Sep, 2025
Suggested:
- 2025
- दक्षिण कोरिया अमेरिकी मिसाइल-रक्षा प्रणाली की तैनाती ने 2017 में चीन विरोध के हालात में सुधार
- प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ
- चीन वार्षिक केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन
- वक्फ (संशोधन) अधिनियम
- 2025 की संवैधानिक वैधता
- 25 अगस्त 2025 को शेयरों के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी और सुझाव
- भारतीय रुपया रिकॉर्ड निम्न स्तर पर: कारण
- गैंगस्टर अजय ठाकुर
- हरतालिका तीज एक प्रमुख हिंदू त्योहार

Dr. Lokesh Shukla
Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management
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