सचेंडी के राजा हिन्दू सिंह पर नवाब सआदत अली खां का कन्हैयाष्टमी पर आक्रमण
राजा हिन्दू सिंह ने महाराज छत्रसाल के पास शरण ली
उनके पुत्र सम्भर सिंह ने 1742 में सचेंडी राज को पुनः जीता।
राजा दुर्गा प्रसाद चन्देल 1857 की क्रांति के नायक
ब्रिटिश सेना की पुनः विजय के बाद राजा दुर्गा प्रसाद को छिपना पड़ा
राजा दुर्गा प्रसाद को गिरफ्तार कर फांसी की सजा
अंग्रेजी सरकार की शपथ लेने से मना कर दिया।
दो पुत्र माधव प्रकाश और बेनीप्रकाश, वंश में इकबालबहादुर बेटे खडगेन्द्र, गजेंद्र, राजेंद्र
कानपुर 18 जून 2025
१८५७ की क्रान्ति के गुमनाम नायक ....
सचेंडी के राजा दुर्गा प्रसाद चन्देल
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कन्हैयाष्टमी को कान्हपुर (कानपुर) नगर की स्थापना करने वाले सचेंडी के चन्देल राजा हिन्दू सिंह पर जब अवध के नवाब सआदत अली खां ने आक्रमण किया तब भदौरिया राजा गोपाल सिंह की कूटनीति और दूतत्व के कारण सचेंडी के दुर्ग पर नवाब का कब्जा हो गया । राजा हिन्दू सिंह ने बुंदेलखंड में महाराज छत्रसाल के यहां शरण ली। राजा हिन्दू सिंह की मृत्यु के बाद उनके एकमात्र पुत्र सम्भर सिंह ने अपने बाहुबल से सन १७४२ में सचेंडी राज को जीता। राजा सम्भरसिंह निसंतान होने के कारण सोना के दरियाव सिंह को उत्तराधिकारी बनाया दरियाव सिंह के दो पुत्र हुए भीम सिंह और पृथ्वी सिंह ।
१८५७ की क्रान्ति के नायक राजा दुर्गा प्रसाद चन्देल राजा भीम सिंह के ज्येष्ठ पुत्र नाना साहब के समकालीन थे। जब सन १८५७ की क्रान्ति का श्री गणेश हुआ तो राजा दुर्गा प्रसाद ने भी उसमें योगदान करने का संकल्प किया । शिवराजपुर, सखरेज तथा काकादेव के चन्देल नरेशों ने भी ऐसा ही किया । जिले के कुछ चौहान, पवांर, गौतम तथा अन्य क्षत्रिय शासको ने भी विदेशी सरकार को उखाड़ कर अपनी स्वतंत्रता स्थापित करने का प्रण किया । धीरे धीरे प्राय: समस्त जिले में कम्पनी की अमलदारी समाप्त हो गई । जब पहली जुलाई सन १८५७ को नाना साहब ने बिठूर में अपने को स्वतंत्र पेशवा घोषित किया, तो ये सब क्षत्रिय राजा उनके सामंत बने। पर जब कुछ काल के उपरान्त विदेशी सेनाओं की फिर विजय प्रारम्भ हुई तो सचेंडी में भी अन्य स्थानों की भांति दोबारा थाना कायम हुआ । पर राजा हिन्दू सिंह के वंश में अभी उनकी वीरोचित परंपरा सर्वथा मिटी नहीं थी । उनकी राजधानी पर पुन: ब्रिटिश पताका फहराये यह सहन नहीं किया जा सकता था । सागर की ४१वी नेटिव इन्फैंट्री के विद्रोही सैनिकों ने कालपी से कानपुर आते हुए, मार्ग में सचेंडी के वीर चन्देलो की सहायता से फिर वहां से ब्रिटिश शासन की निशानी मिटा दी । थाने के सभी अधिकारी तलवार के घाट उतार दिये गये । पर भाग्य ने फिर पलटा खाया। ब्रिटिश सेना फिर विजयी हुई और धीरे धीरे समस्त जिले में विद्रोह की ज्वाला शान्त हो चली । इसलिए समय की गति परख कर राजा दुर्गा प्रसाद सचेंडी छोड कर कोटरा मकरंदपुर में जा छिपे । उनकी गढ़ी गिरा दी गई और उनके १२६ गांव जब्त कर लिए गए । पर नवम्बर सन १८५७ में मोहन सिंह पंवार नामक जातिद्रोही ने, जिसके पूर्वजो ने सचेड़ी के राजाओं का नमक खाया था , धोखा दे कर राजा दुर्गा प्रसाद को घाटमपुर थाने में गिरफ्तार करवा दिया । पर मौका पाकर राजा दुर्गा प्रसाद ने उसे गोली से मार डाला। राजा साहब फिर भाग निकले और कोटरा मकरंदपुर जा पहुंचे। पर ब्रिटिश शासन के गुर्गे चारों ओर से उन्हें घेरे हुए थे । उनके एक नौकर ठाकुर प्रसाद ने इस बार उन्हें दांव में फांस कर गिरफ्तार करवा दिया । उन पर कानपुर की सेशन अदालत में राज विद्रोह के अपराध में मुकदमा चला और उन्हें फांसी की सजा का हुक्म हुआ । पर प्रांतीय सरकार उन्हें क्षमा दान देने और उनके गांव वापस करने के लिए उत्सुक थी । केवल एक शर्त थी और वह यह कि राजा हिन्दू सिंह का यह वंशज अंग्रेजी सरकार के प्रति राजभक्ति की शपथ ले । पर राजा दुर्गा प्रसाद ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया । उन्होंने बड़े हर्ष और गर्व से फांसी के तख्ते पर झूलना स्वीकार किया ।
क्रान्ति नायक राजा दुर्गा प्रसाद के दो पुत्र माधव प्रकाश और बेनीप्रकाश थे जिन्हे अंग्रेजी सरकार ने केवल उनके ध्वस्त पैतृक घर के वापस करने की कृपा की । बेनी प्रकाश निसंतान हुए । राजा माधवप्रकाश के पुत्र ठाकुर इकबालबहादुर हुए और उनके पुत्र खडगेन्द्र बहादुर, गजेंद्रबहादुर, और राजेंद्रबहादुर हैं ।
(स्रोत : कानपुर का इतिहास,भाग १, प्रकाशन वर्ष १९५०)
प्रस्तुति अनूप कुमार शुक्ल महासचिव कानपुर इतिहास समिति
- 04 Jul, 2025

Dr. Lokesh Shukla
Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management
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