• 07 Jun, 2025

भारत के संविधान के भाग XVIII के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल से संबंधित उपबंधों की विवेचना डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 945012595

भारत के संविधान के भाग XVIII के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल से संबंधित  उपबंधों  की विवेचना डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 945012595

 भारत के संविधान के भाग XVIII के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल से संबंधित उपबंध
राष्ट्रपति द्वारा   युद्ध, बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति  में
आपातकाल की अवधि एक बार में छः महीने से अधिक नहीं 
नागरिकों के मौलिक अधिकारों  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति की स्वतंत्रता, और संगठन बनाने की स्वतंत्रता  पर प्रतिबंध संभव
आपातकाल की घोषणा के 30 दिनों के भीतर संसद के दोनों सदनों की मंजूरी आवश्यक
डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 945012595

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352, राष्ट्रपति को देश में आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है। यह अनुच्छेद भारत के संविधान के भाग XVIII में शामिल है यह प्रावधान, संघीय ढाँचे को बनाए रखते हुए, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की रक्षा के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में  है। इस  प्रावधान के दुरूपयोग की आशंका को देखते हुए, इसकी घोषणा के पूर्व  निरंतरता और समाप्ति से संबंधित विभिन्न परिस्थितियो  की गहन विवेचना आवश्यक है।
अनुच्छेद 352 में वर्णित आपातकाल की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है, जब देश में युद्ध, बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति उत्पन्न हो जाए। इस स्थिति में, राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह संसद के दोनों सदनों को सूचित करे और आपातकाल की घोषणा करे।   यह प्रावधान स्पष्ट रूप से इन तीन स्थितियों को आपातकाल की घोषणा के लिए अनिवार्य शर्तें बनाता है।  सरकार को केवल किसी आशंका या संभावित खतरे के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक और गंभीर खतरे की उपस्थिति में ही यह कदम उठाना चाहिए।  यह  घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, परंतु  देश के सर्वोच्च विधायी निकाय  संसद  में  महत्वपूर्ण निर्णय में  दोनों सदनों द्वारा सहमति   के लिये प्रत्येक सदन द्वारा अपने कुल सदस्यों के बहुमत से और उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से, एक महीने के भीतर अनुमोदित होना आवश्यक है।   
आपातकाल की घोषणा के बाद, केंद्र सरकार को विशेष शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में नहीं होती हैं। आपातकाल की घोषणा के दौरान, नागरिकों के मौलिक अधिकारों  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति की स्वतंत्रता, और संगठन बनाने की स्वतंत्रता  पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
इन शक्तियों में शामिल हैं:
राज्यों के कार्यों पर नियंत्रण करने की शक्ति
 संसद को विशेष अधिकार देने की शक्ति
न्यायपालिका के कार्यों पर नियंत्रण करने की शक्ति
मौलिक अधिकारों को सीमित करने की शक्ति
आपातकाल की घोषणा के बाद, संघ सरकार को व्यापक शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं।  यह राज्यों के प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकती है और केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित कानूनों को राज्यों पर लागू कर सकती है।  हालाँकि, यह शक्ति असीमित नहीं है।  संविधान के मूल संरचना सिद्धांत के आधार पर, उच्चतम न्यायालय ने कई अवसरों पर आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग पर अंकुश लगाया है।  यह सुनिश्चित करता है कि आपातकाल का उपयोग लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों का दमन करने के लिए नहीं है।
अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल की अवधि एक बार में छः महीने से अधिक नहीं हो सकती है। परन्तु संसद की अनुमति से आगे बढ़ाया जा सकता है,व हर छह महीने के बाद पुनः संसद से अनुमोदन लेना आवश्यक है।  यह  सुनिश्चित करता है कि आपातकाल लंबे समय तक  न रहे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पुनरुत्थान समय पर हो।  आपातकाल की समाप्ति में संसद की कोई भूमिका नहीं है।   यह राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 में वर्णित आपातकालीन प्रावधान संघीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक अनुच्छेद है।   इसके  दुरूपयोग को रोकने के लिए,  इसकी घोषणा, अवधि और समाप्ति से संबंधित प्रावधानों को सख्ती से पालन  आवश्यक है।  संसद की भूमिका, न्यायपालिका की निगरानी और संविधान के मूल संरचना सिद्धांत  आपातकालीन शक्तियों के संतुलित और जिम्मेदार प्रयोग को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।   यह प्रावधान  राष्ट्रीय हितों और लोकतंत्र के मूल्यों  की रक्षा के लिए है।
आपातकाल की घोषणा के बाद राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा के 30 दिनों के भीतर संसद के दोनों सदनों की मंजूरी लेनी होती है। यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा मंजूरी न मिलने पर आपातकाल समाप्त हो सकता है।
 आपातकाल की घोषणा के दौरान, केंद्र सरकार को विशेष शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं, लेकिन नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि आपातकाल की घोषणा का उपयोग केवल वास्तविक आपातकालीन स्थिति में ही किया जाए और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management