• 07 Jun, 2025

जन हित याचिका और निर्णीत वादों की सहायता से उसकी स्पष्टता डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 9450125954

जन हित याचिका और निर्णीत वादों की सहायता से उसकी स्पष्टता डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 9450125954

कानून के अनुप्रयोग द्वारा सामाजिक न्याय की रक्षा  और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा 
कोई व्यक्ति या समूह  समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाले वादो को न्यायालय में  प्रस्तुत कर सकता है    
जन हित याचिकाओं की स्वीकृति और प्रसार का मुख्य योगदान सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के  निर्णयों पर
डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 945012595 4
भारत में न्यायपालिका की भूमिका न केवल कानून के अनुप्रयोग की है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की रक्षा करने और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण है। ऐसी ही एक विधा है 'जन हित याचिका', जो विशेष रूप से आम नागरिकों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए अस्तित्व में आई है। जन हित याचिका का उद्देश्य संवैधानिक अदालतों के समक्ष उन मुद्दों को लाना है जो समाज के व्यापक हित में होते हैं, जैसे कि पर्यावरण, मानवाधिकार, और अन्य सामाजिक विषय। जन हित याचिका की महत्ता, उसकी प्रक्रिया और इसे समझाने के लिए निर्णीत वादों का संदर्भ इस प्रकार है।।
जन हित याचिका (Public Interest Litigation - PIL) कानूनी प्रावधान है जिससे कोई भी व्यक्ति या समूह उन मामलों को न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है जो समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा हो और न्याय प्राप्त हो सके। यह विशेष रूप से उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहां कोई व्यक्ति या समूह अपने अधिकारों की रक्षा करने में असमर्थ है।
जन हित याचिकाओं की स्वीकृति और प्रसार का मुख्य योगदान सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के उन निर्णयों का है जिन्होंने इस प्रक्रिया को सक्षम एवं प्रभावी बनाया। जनहित में दायर याचिकाएं न केवल न्यायपालिका को जन समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि सरकारी तंत्र इन मुद्दों को गंभीरता से ले।
जन हित याचिका की प्रक्रिया
जन हित याचिका दायर करने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल है। कोई भी व्यक्ति या संगठन जो सिद्ध कर सकता है कि याचिका उसके व्यक्तिगत हितों से इतर, व्यापक जनहित के लिए दायर की गई है, वह इसकी दायरगी कर सकता है। इसके लिए याचिकाकर्ता को संबंधित सक्षम न्यायालय में आवेदन देना होता है। याचिका में यह स्पष्ट करना होता है कि किस प्रकार की समस्या या उल्लंघन हो रहा है और सरकार या संबंधित विभाग को इसमें किस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए।
याचिका के सुनवाई के दौरान, न्यायाधीश आमतौर पर सरकार को निर्देशित करते हैं कि वह इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करें। इसके बाद न्यायालय में सुनवाई होती है, जिसमें दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायाधीश अपना निर्णय देते हैं। यह प्रक्रिया न्यायालयों द्वारा त्वरित न्याय प्रदान करने पर केंद्रित है, ताकि जनहित से जुड़ी समस्याएं शीघ्र हल हो सकें।
निर्णीत वादों से स्पष्टता का उदाहरण
1. ओम प्रकाश बनाम हरियाणा राज्य
 याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के उल्लंघन के खिलाफ जन हित याचिका दायर की। न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि सभी श्रमिकों को उचित न्यूनतम मजदूरी मिले और इस मामले में ठोस कदम उठाए। यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि किस प्रकार जन हित याचिका एक बात को न्यायालय के समक्ष लाकर समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा कर सकती है।
2. मोहित कुमार बनाम भारत संघ
 याचिकाकर्ता ने पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ एक जन हित याचिका प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते आरा मशीनों और औद्योगिक प्रदूषण के कारण हुए स्वास्थ्य खतरे की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया। न्यायालय ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण आदेश दिए, जिससे सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया गया। इस निर्णय ने न केवल समाज में जागरूकता बढ़ाई, बल्कि उचित नीतियों के निर्माण की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया।
3. सी ऐम पाटिल बनाम भारत सरकार
इस याचिका में, याचिकाकर्ता ने रेल यात्रा में विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने की मांग की। इस मामले में न्यायालय ने सरकार को निदान करने का आदेश दिया कि विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएं कैसे और कब उपलब्ध कराई जाएंगी। यह याचिका न केवल विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में सहायक हुई, बल्कि समाज में भी संवेदनशीलता बढ़ाने का कार्य किया।
जन हित याचिका एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और नागरिकों को न्याय दिलाने में मदद करता है। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के निर्णीत वादों ने इसे प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन याचिकाओं के माध्यम से नागरिक अधिकारों का संरक्षण, समाज में असमानता की कमी, और सरकारी तंत्र पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है। जन हित याचिका कानूनी प्रक्रिया का एक हिस्सा और सामाजिक न्‍याय की दिशा में बढ़ता हुआ महत्वपूर्ण कदम भी है।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management