सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं.
सोमवती अमावस्या को गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य
कानपुर दिसंबर 30, 2024
भक्तों का मानना है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और यह दिन विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। इस अवसर पर स्नान के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी महत्व है, जिससे व्यक्ति को श्रद्धा और आस्था के धागे में बंधी भक्ति की भावना को और मजबूती मिलती है)।
सोमवती अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस दिन स्नान करने और पूजा-पाठ करने से परिवार में सुख, समृद्धि, शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है
ब्रिटेन से आये श्रद्धालु ने कहा , “यह आस्था का त्योहार है.शास्त्रो के अनुसार द्वापर युग के दौरान सोमवती अमावस्या नहीं होती थी जिसके कारण युधिष्ठिर ने मां गंगा को कलयुग में अधिक बार प्रकट होने का श्राप दिया था ताकि में मानवता को अपना आशीर्वाद दे सकें.”"स्नान करने से एक पवित्र अनुभूति होती है और उस भावना को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है. वातावरण उत्साहजनक लगता है. इतनी कड़ाके की ठंड में पैर रखने की जगह नहीं है. हमारे अंदर शायद हमारी मान्यताएं हैं, हमारे ग्रंथ हैं और लोगों का विश्वास हमे यहाॅ लाता है ।"
इस दिन श्रद्धालु पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हैं, सरसो का तेल व हल्दी का परहेज करते है । जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गंगा स्नान करने से व्यक्ति अपनी आत्मा को शुद्ध करता है और पितरों को तृप्त करता है। इस समय के दौरान किया गया दान और पुण्य भी अक्षय माना जाता है.
अनुमानित संख्या के अनुसार, इस सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार और प्रयागराज में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 30 से 40 लाख होगी, और यह संख्या विशेष रूप से तीर्थ स्थलों पर भीड़ को देखते हुए बढ़ सकती है।इस पर्व के महत्व और विशेष रूप से संतोषजनक अनुभव के लिए श्रद्धालु हर वर्ष सोमवती अमावस्या का इंतजार करते हैं, ताकि वे गंगा में स्नान करके पुण्य अर्जित कर सकें.
सोमवती अमावस्या पर टेलीकास्टदूडे की शुभकामनाये ।