- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की दुख हुआ, अपने छात्र जीवन के अनुभव साझा
- कानपुर में राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया, उनके गुरु डा. मदन मोहन पाण्डेय
- अटल बिहारी वाजपेयी ने 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में सेवा की
- कई राजनीतिक नेताओं ने अटल जी को श्रद्धांजलि दी
- सिद्धांतों, विचारधारा और राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पण की प्रशंसा की।
- भारतीय राजनीति में नैतिकता, शुचिता और संवाद में सौम्यता का प्रतीक बने रहने का उदाहरण
कानपुर :16 अगस्त, 2025
अनूप कुमार शुक्ल महासचिव कानपुर इतिहास समिति की सोशल मीडिया पोस्ट से
16 अगस्त 2018 सादर नमन :---


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अभी अभी संवाद मिला कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी नही रहे ! मेरे लिए कितना दुखद संवाद है कि १९४५ मे मेरे (कानपुर ) सीने से लिपट कर ममत्व पा स्नातकोत्तरीय व विधि (कानून) को पढने वाला एक तरुण युवक अटल ही तो था | ग्वालियरनरेश से वजीफा ले कर दयानंद एग्लो वैदिक कालेज कानपुर मे प्रवेश लिया और राजनीति विज्ञान मे एम. ए. किया | गुरु थे मसवानपुर के डा. मदन मोहन पाण्डेय (एम एम पाण्डेय ) जिन्हे मास्टर आफ मेमोरी कहा जाता था | जो बाद मे १९५९ मे दयानंद ब्रजेन्द्रस्वरुप कालेज (डी बी एस कालेज) के संस्थापक प्राचार्य बने | मसवानपुर का पाण्डेय तालाब आज भी उनके वंश का कीर्ति गायन कर रहा है | डा. पाण्डेय जी, पी रोड गांधीनगर मे दुर्गादेवी रोड के मोड़ पर रहते थे जहां पर अटल जी छात्र जीवन मे अक्सर बैठकी करते थे | डा. पाण्डेय के जामाता डा. अवध दूबे ( नेत्र चिकित्सक व समाजसेवी ) शहर की वर्तमान लब्धप्रतिष्ठ शख्सियतो मे शुमार है | १९४८ मे अटलबिहारी व उनके पिता कृष्णबिहारी ने साथ साथ विधि (कानून ) की पढाई के लिए दाखिला लिया | पिता - पुत्र का एक साथ पढाई करने के कौतुक का भी मै गवाह रहा | राजनीति का पाठ पढे अटल प्रधानमंत्री बने तो मै फूला नही समाया मिठाइयाँ बांटी थी | वह ९ बार लोकसभा व २ बार राज्यसभा सदस्य रहे अटल जब भी मेरे पास (कानपुर )आए तो झाडे रहो कलक्टरगंज की फब्ती से कभी तंज कसा तो कभी उत्साह से भी भर देते थे | उनका कवि रुप भी मैने देखा व संसद मे कुशल वक्तृता भी देखी है |
अरे याद आया अटल ने मुझसे और भी रिश्ते जोडे ... उनकी बुआ कानपुर के गहलौ मे ब्याही थी व रिश्ते मे नातिन कांग्रेसी नेता सर्राफा कारोबारी राजेन्द्र मिश्र बब्बू के घर ब्याही है |
आज अपने ७४ साल पुराने स्नेही विद्यार्थी और रिश्ते गढने वाले अटल के निधन संवाद से बहुत दुखी व बहुत ही मर्मान्तक पीडा से आहत हूं .... 
मै था " कानपुर "


पूर्व प्रधानमंत्री, भाजपा के संस्थापक सदस्य, भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मूल्य-आधारित राजनीति को आगे बढ़ाते हुए विकास और सुशासन की मजबूत नींव रखी। अटल जी ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी सरकार गंवानी पड़ी। उनके नेतृत्व में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को करारा जवाब दिया। अटल जी अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से हम सभी को राष्ट्रसेवा के मार्ग पर प्रेरित करते रहेंगे। श्रद्धेय अटल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करता हूँ।
नए भारत के स्वप्नदृष्टा, भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, सुशासन के आदर्श प्रतिमान, हम असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणापुंज, पूर्व प्रधानमंत्री, 'भारत रत्न' श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ! श्रद्धेय अटल जी का चेहरा याद आता है तो रोम-रोम प्रेरणा से भर जाता है। उनके चेहरे पर तेज था, उनकी वाणी में ओज था, सरस्वती उनकी जिह्वा में विराजती थीं। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे उनका स्नेह आशीर्वाद और मार्गदर्शन भरपूर मिला। राष्ट्रोत्थान व जनसेवा को समर्पित श्रद्धेय अटल जी का सम्पूर्ण जीवन सदैव हम सबको निष्ठापूर्वक कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 7वीं पुण्यतिथि पर सदैव अटल स्थल पर प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
जननायक, भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, राष्ट्रधर्म के निर्भीक प्रहरी, पूर्व प्रधानमंत्री, 'भारत रत्न' श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! वे भारतीय राजनीति में शुचिता के शिल्पकार, संवाद में सौम्यता तथा संयम के स्वर, राष्ट्रनीति में नैतिकता और राष्ट्रधर्म के ध्वजवाहक थे। श्रद्धेय अटल जी सच्चे अर्थों में राजनीतिक साधना के प्रतीक पुरुष थे। उनकी पावन स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन!
"सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए…" दूषित राजनीति के दौर में भी अपने आचरण और व्यक्तित्व को निष्कलंक बनाए रखने वाले, भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत, प्रखर राष्ट्रवादी महाकवि, हम सबके प्रेरणास्त्रोत एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। उनके बारे में कहा गया है.... “काजल के पर्वत पर चढ़ना और निष्कलंक बने रहना असंभव-सा कार्य है।” लेकिन अटल जी ने यह असंभव को संभव कर दिखाया। राजनीति जैसे काजल रूपी क्षेत्र को उन्होंने अपनी पवित्रता, नज़ाकत और ऊँचे आदर्शों से उज्ज्वल स्वरूप प्रदान किया। अटल जी ने यह सिखाया कि राजनीति केवल सत्ता का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च मार्ग है। आज उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हमें भी स्वच्छ, सहयोगात्मक और व्यावहारिक राजनीति को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि लोकतंत्र और मजबूत हो सके। एक बार पुनः, महात्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि।