• 07 Jun, 2025

संविधान का वर्गीकरण और भारतीय संविधान का वर्गीकरण

संविधान का वर्गीकरण और भारतीय संविधान का वर्गीकरण

संविधान का वर्गीकरण और भारतीय संविधान का वर्गीकरण
1. संरचनात्मक वर्गीकरण
2. क्रियान्वयन के आधार पर वर्गीकरण
3. स्थायित्व के आधार पर वर्गीकरण
 4. भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण
संविधान किसी भी देश के राजनीतिक और कानूनी ढांचे का आधार  है। यह  शासन प्रणाली को स्थापित कर बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी परिभाषित करता है। संविधान का वर्गीकरण विभिन्न दृष्टिकोणों के  संरचना, क्रियान्वयन, स्थायित्व, और भौगोलिक क्षेत्र के  आधार पर किया जाता हैं। 
1. संरचनात्मक वर्गीकरण
संविधान को उसकी संरचना के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: लिखित और अशोधित (अनकूट) संविधान। 
लिखित संविधान:  लिखित दस्तावेज में संकलित ऐसे संविधान को लिखित संविधान कहा जाता है।भारत का संविधान लिखित है और इसका एक स्पष्ट पाठ है जो विभिन्न धाराओं में विभाजित है।
अशोधित संविधान:   संविधान   विशेष दस्तावेज में नहीं लिखा जाता, यह कानूनी दस्तावेजों और परंपराओं का संग्रह होता है। जैसे ब्रिटेन का संविधान, जो मौलिक कानूनों, परंपराओं और न्यायिक निर्णयों से बना है।
2. क्रियान्वयन के आधार पर वर्गीकरण
संविधान को उसकी क्रियान्वयन के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है
लचीला संविधान:  संविधान  सरल प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किया जा सकता है।  न्यूज़ीलैंड का संविधान संसद की बहुमत से संशोधित किया जा सकता है  यह लचीला संविधान की श्रेणी मे है ।है 
कठोर संविधान:   जि नमें संविधान संशोधन के लिए जटिल प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। भारत का संविधान इस श्रेणी  का है, जिसमें  धाराओं को संशोधित करने के लिए विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
3. स्थायित्व के आधार पर वर्गीकरण
संविधान के स्थायित्व के अनुसार इसे अस्थायी और स्थायी में वर्गीकृत किया जा सकता है:
अस्थायी संविधान: ऐसे संविधान जो सीमित समय के लिए लागू होते हैं। जैसे कुछ विशेष पारिस्थितिकीय या राजनीतिक स्थिति में बने संविधान।
स्थायी संविधान: ऐसे संविधान जो लंबे समय तक लागू रहते हैं। भारत का संविधान स्थायी प्रकृति का है और इसमें विभिन्न संशोधन होते रहते हैं लेकिन इसकी मूल संरचना स्थायी रहती है।
 4. भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण
संविधान को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संविधान में विभाजित किया जा सकता है:
राष्ट्रीय संविधान: यह संविधान पूरे देश में लागू होता है, जैसे भारत का संविधान।
क्षेत्रीय संविधान:  संविधान  किसी विशेष क्षेत्र या राज्य में लागू होते हैं। उदाहरण के लिए, कई देशों में विभिन्न प्रांतों के लिए विशिष्ट कानून होते हैं।
संविधान का वर्गीकरण  विभिन्न देशों के राजनीतिक और कानूनी ढांचे की विविधता को स्पष्ट करता है । संविधान  समाज के मूल्यों, सिद्धांतों और नागरिकों के अधिकारों का संरक्षक होता है। इसका  वर्गीकरण  समाज और राज्य के कार्य को स्पष्ट करता है ।  संविधान का अध्ययन कानूनी दृष्टिकोण से  लोकतंत्र और अधिकारों की रक्षा के लिए  महत्वपूर्ण है। 

भारतीय संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधानों में से एक है। यह संविधान  भारत के राजनीतिक ढांचे को निर्धारित करता है व नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है। भारतीय संविधान को विभिन्न दृष्टिकोणों से वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें उसका स्वरूप, प्रकृति, और उद्देश्य शामिल हैं। 

  •  भारतीय संविधान को कठोर एवं लचीले संविधान के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कठोर संविधान वे होते हैं जिनमें संशोधन के लिए कठिन प्रक्रियाएँ निर्धारित होती हैं, जबकि लचीले संविधान में संशोधन की प्रक्रिया सरल होती है। भारतीय संविधान में दोनों प्रकार की विशेषताएँ मौजूद हैं। इसे कुछ धाराओं में सरलता से संशोधित किया जा सकता है, जबकि कुछ अन्य धाराएँ, जैसे कि मूल अधिकार, संशोधन के लिए विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार, भारतीय संविधान को एक मध्यमवर्गीय  है, जहाँ  कठोर और लचीले दोनों विशेषताये  है।
  •  इसे संघीय और एकात्मक दृष्टिकोण से भी वर्गीकृत किया जा सकता है। भारतीय संविधान की संघीयता की विशेषता  है कि इसमें प्रत्येक राज्य को अपनी सीमाओं के अंदर स्वायत्तता प्रदान की गई है। साथ ही, केंद्रीय सरकार को भी कुछ विशेष शक्तियाँ और अधिकार दिए गए हैं, जो इसे एकात्मक प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं।  भारतीय संविधान संघीयता और एकात्मकता का  मिश्रण  है, जो भारत के विविध सांस्कृतिक और भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में  महत्वपूर्ण है।
  •  भारतीय संविधान को सामाजिक दृष्टिकोण से वर्गीकृत करने पर हमारे सामने मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों की संकल्पना आती है। संविधान के अंतर्गत नागरिकों को विभिन्न मौलिक अधिकार  समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, और संवैधानिक उपचार का अधिकार। इसके अतिरिक्त, मौलिक कर्तव्यों की स्पष्ट रूपरेखा भी दी गई है, जो नागरिकों को उनके अधिकारों का उपयोग करते समय आवश्यक ज़िम्मेदारियों की ओर इंगित करती है। यह  संविधान की सामाजिक धारणा को दर्शाता है, बल्कि नागरिकों में सामाजिक चेतना और जिम्मेदारी का भी परिचायक है।

भारतीय संविधान का वर्गीकरण  एक समृद्ध और विविधता से भरी प्रणाली की ओर इंगित करता है, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, और सामाजिक न्याय की मूलधाराओं पर आधारित है। इसे विभिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, और प्रत्येक वर्गीकरण भारतीय समाज की जटिलताओं और संविधान के महत्व को को समझने व पहचानने में सहायक  है। भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज के रूप  देश की अत्यावश्यक कानूनी रूपरेखा बनाती औरअद्यतन करने और समय की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने की क्षमता  प्रदान करती हैं।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management