• 08 Jun, 2025

संयुक्त हिन्दू परिवार की शक्तियाँ , अस्तित्व व चुनौतियाँ पर विवेचना डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 9450125954

संयुक्त हिन्दू परिवार की शक्तियाँ ,  अस्तित्व व  चुनौतियाँ  पर विवेचना डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 9450125954

संयुक्त हिन्दू परिवार की शक्तियाँ तथा उसकीअस्तित्व पर अनेक चुनौतियाँ पर विवेचना
 सशक्त सामाजिक इकाई
आर्थिक इकाई के रूप में  सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक मानदंडों का भी प्रतिनिधित्व
वर्तमान मे इसके अस्तित्व पर अनेक चुनौतियाँ

 

डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 9450125954


संयुक्त हिंदू परिवार एक सामाजिक संरचना है जिसमें ज्यादातर एक ही वंश के सदस्य एक साथ निवास करते हैं और सामूहिक रूप से अपने जीवन के विभिन्न पहलों को साझा करते हैं। यह पारिवारिक प्रणाली सिर्फ एक आर्थिक इकाई के रूप में कार्य कर सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक मानदंडों का भी प्रतिनिधित्व करती है।
संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी शक्ति उसकी सामाजिक एकता है। परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के साथ घनिष्ठता से जुड़े होते हैं, जिससे एक मजबूत सामाजिक बंधन बनता है। यह संबंध न केवल भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक तनाव और संघर्षों के समय सहारा भी बनता है।
संयुक्त परिवार में सभी सदस्य मिलकर आर्थिक गतिविधियों को संचालित करते हैं। एक साथ रहने से परिवार के संसाधनों का समुचित उपयोग हो सकता है जिसमें आय, संपत्ति और अन्य साधनों का उचित वितरण होता है। यह संयुक्त प्रयास परिवार की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाता है और विभिन्न आकस्मिकताओं का सामना करने में दिशा प्रदान करता है।
संयुक्त परिवार में बच्चों को परंपरागत संस्कारों और नैतिक मूल्यों का निरंतर शिक्षण मिलता है। दादा-दादी, चाचा-चाची और अन्य वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति बच्चों के विकास में सकारात्मक योगदान देती है, जिससे वे सांस्कृतिक धरोहर को समझ पाते हैं और उसका सम्मान करते हैं।
संयुक्त परिवार में हर सदस्य के सुख-दुख में एक-दूसरे को सहारा देने का प्रावधान होता है। यह विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है। जब परिवार के सदस्य एक छत के नीचे रहते हैं, तो विषम परिस्थितियों में उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहायता प्राप्त होती है।
संयुक्त परिवार में विभिन्न उम्र के लोग एक साथ रहते हैं। इस कारण से अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान सहजता से होता है, जो भविष्य के पीढ़ी के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। बुजुर्गों के  ज्ञान और अनुभव से वे युवाओं को सिखा सकते हैं, जबकि युवा नया दृष्टिकोण और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
संयुक्त परिवार की पारंपरिक शक्तियों के बावजूद वर्तमान मे इसके अस्तित्व पर अनेक चुनौतियाँ हैं। आधुनिकता, शहरीकरण और वैश्वीकरण ने पारिवारिक संरचना को काफी प्रभावित किया है। निम्नलिखित बिंदुओं में हम इन चुनौतियों पर चर्चा करेंगे:
वर्तमान मे आजकल ज्यादातर युवा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देते हैं। इस परिवर्तन के कारण, अधिकतर लोग एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे संयुक्त परिवारों की संख्या में कमी आ रही है।
वर्तमान मे शहरी क्षेत्रों में रहने की स्थिति ने संयुक्त परिवारों की पारंपरिक संरचना को चुनौती दी है। उच्च जीवन स्तर और विभिन्न व्यवसायों की खोज के कारण, लोग अपने परिवारों से दूर रहने लगे हैं। ऐसे में पारिवारिक बंधनों का टूटना स्वाभाविक है।
वर्तमान मे आर्थिक स्थिति और महंगाई ने परिवारों पर दबाव डालना शुरू कर दिया है। ऐसे में, संयुक्त परिवार की आर्थिक प्रणाली भी प्रभावित होती है, क्योंकि परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक जिम्मेदारियों में भी वृद्धि होती है।
वर्तमान मे पश्चिमी संस्कृति का आगमन भारतीय समाज में तेजी से हो रहा है। इससे युवा पीढ़ी परंपरागत मूल्यों और नैतिकताओं से दूर होती जा रही है। यह बदलाव संयुक्त परिवार के संरचनात्मक सिद्धांतों को कमजोर बना रहा है।
वर्तमान मे समाज में एकल माता-पिता, किन्नर परिवार, और अन्य ऐसे परिवारों का उदय हो रहा है। ये परिवर्तन सामाजिक सुरक्षा के तंत्रों को प्रभावित करते हैं और पारंपरिक संयुक्त परिवार की अवधारणा को चुनौती देते हैं।
संयुक्त हिंदू परिवार सशक्त सामाजिक इकाई है, जिसकी अनेक शक्तियाँ हैं। लेकिन इसके समक्ष वर्तमान युग में चुनौतियों की भी कमी नहीं है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पारिवारिक संबंधों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। यदि समाज के सदस्यों ने संयुक्त परिवार में जीवन जीने का निर्णय लिया तो यह निश्चित रूप सेपरिवार के बुनियादी सिद्धांतों को सुरक्षित रखेगा।
आधुनिकता की राह पर चलते हुए अपने पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं को बचाए रखना चाहिए ताकि सामूहिकता, सहयोग, और भाईचारे का संदेश प्रस्तुत किया जा सके। इस प्रकार, संयुक्त हिंदू परिवार की अवधारणा को जीवन्त कर समाज में एक नई ऊर्जा का संचार और हमारे सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की होगी ।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management