सभी देशों के पास मिलकर लगभग 12121 परमाणु हथियार
अधिकांश रूस और अमेरिका के पास
परमाणु हथियार किसी देश की सुरक्षा को बढ़ा अत्यधिक विनाशकारी क्षमता को बढाता
समुचित प्रबंधन, इनके उपयोग की नीतियाँ, और देशों के बीच संवाद अत्यंत आवश्यक
कानपुर 19 मई 2025
परमाणु हथियारों का विश्व सुरक्षा और वैश्विक सामरिक संतुलन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। आज दुनिया के विभिन्न देशों के पास लगभग १२,१२१ परमाणु हथियार मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश हथियार रूस और अमेरिका के अधीन हैं। यह दोनों देश विश्व के सबसे बड़े परमाणु सम्पन्न हैं, जो उनकी वैश्विक सैन्य और राजनीतिक शक्ति को दर्शाता है।
रूस और अमेरिका के परमाणु हथियारों की विशाल संख्या, शीत युद्ध की अवधि में विकसित हुई प्रतिस्पर्धात्मक रणनीतियों का परिणाम है। इनका उद्देश्य एक-दूसरे को संतुलित कर संभावित आक्रामकता को रोकने के लिए एक भयभीत दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करना था। अन्य परमाणु संपन्न देशों ने उनकी संख्या तुलनात्मक रूप से कम भी अपने स्तर पर हथियार विकसित कर वैश्विक सुरक्षा पर अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है ।
परमाणु हथियारों की यह विशाल संख्या वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए चुनौती प्रस्तुत करती है। विश्व समुदाय निरंतर प्रयासरत है कि परमाणु अस्त्रों के प्रसार को रोका जाए और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से उनका नियंत्रण संभव हो। ऐसे प्रयास भविष्य में युद्ध की संभावना को कम कर, स्थिरता और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।इन सभी देशों के पास मिलकर लगभग 12121 परमाणु हथियार हैं, और इनमें से अधिकांश रूस और अमेरिका के पास हैं। अनुमानित संख्या इस प्रकार है:
रूस: 5,580
संयुक्त राज्य अमेरिका: 5,044
चीन: 350
फ्रांस: 290
यूनाइटेड किंगडम: 225
पाकिस्तान: 170
भारत: 160
उत्तर कोरिया: 50।
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अत्यधिक विनाशकारी हो सकता है। एक परमाणु विस्फोट से न तत्काल हताहति का खतरा व दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभाव भी पड़ता है। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमलों ने लाखों लोगों की जान ली और लाखों को चोट पहुंचाई उदाहरण है ।
भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपने परमाणु हथियारों का उपयोग न करने की नीति अपनाई है, और पाकिस्तान की "पहले इस्तेमाल" करने की धमकी अक्सर तनाव का कारण बनती हैं। दूसरी ओर, भारत का रुख हमेशा उत्तरदायी होने का रहा है।
परमाणु हथियार किसी देश की सुरक्षा को बढ़ा उनमें अत्यधिक विनाशकारी क्षमता को बढाता है । है। इन हथियारों की उपस्थिति के कारण वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। किसी भी टकराव के परिणाम अत्यंत भयानक होते हैं।
परमाणु हथियारों का समुचित प्रबंधन, इनके उपयोग की नीतियाँ, और देशों के बीच संवाद अत्यंत आवश्यक हैं ताकि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए संभावित आपदाओं से बचा जा सके। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों, जैसे कि परमाणु अप्रसार संधि, का उद्देश्य इन खतरों को नियंत्रित करना है। लेकिन ये संधियाँ कई बार नाकाम होती हैं, इसलिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।
परमाणु अप्रसार संधि के कारण जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के पास अभी तक परमाणु हथियार नहीं हैं.
इस संधि को 1968 में अपनाया 1970 में लागू किया गया था; इसका उद्देश्य दुनिया को परमाणु हथियारों के खतरे से बचाना है. 190 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर आज तक किए हैं. इसे परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाने के लिए डिजाइन किया गया था. संधि के लागू होने से पहले परमाणु परीक्षण करने के कारण इस संधि के तहत केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, चीन और फ्रांस को परमाणु हथियार रखने की अनुमति है, क्योंकि इन देशों ने संधि के लागू होने से पहले परमाणु परीक्षण किए थे.
लगभग १२,१२१ परमाणु हथियारों का अस्तित्व, विशेष रूप से रूस और अमेरिका के पास, वैश्विक सुरक्षा के लिए एक जटिल परिदृश्य प्रस्तुत करता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संयम से ही खतरे का सफलतापूर्वक प्रबंधन संभव है।
आवश्यकता पर विचार करना आवश्यक है।