• 07 Jun, 2025

अजमेर के गांव में एक बारात में 25 बाराती 30 घराती 75 पुलिसकर्मी सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा आज भी जातिवाद के पाप की उपस्थिति को प्रर्दशित करता हैं।

अजमेर के गांव में एक बारात में 25 बाराती 30 घराती 75 पुलिसकर्मी सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा आज भी जातिवाद के पाप की उपस्थिति को प्रर्दशित करता  हैं।

समाज में जातिवाद और सम्मान की लड़ाई जारी
आज भी जातिवाद के पाप की उपस्थिति
भारत के संविधान के अनुसार हर व्यक्ति को एक समान महत्व देना होगा
अजमेर के एक गांव में एक बारात में 25 बाराती 30 घराती 75 पुलिस वाले
असमानता और घृणा के कारण दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ते समय सुरक्षा की आवश्यकता
कानपुर 25 जनवरी 2025
25 जनवरी 2025 राजस्थान के अजमेर जिले के एक गांव में एक बारात प्रेम और आनंद का प्रतीक समाज में फैले जातिवाद और असमानता का उदाहरण को उजागर करती है। बारातों में अप्रिय घटनाएं घटित होने के कारण दुल्हन परिवार ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की । इस बारात में 25 बाराती, 30 घराती और 75 पुलिसकर्मी शामिल थे। यह हमारे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा आज भी जातिवाद के पाप की उपस्थिति को प्रर्दशित करता हैं।
दूल्हे का घोड़ी पर चढ़ना भारतीय विवाह की परंपरा है, जो खुशी, उत्साह और सम्मान का प्रतीक समझा जाता है। यह परंपरा जाति या समाज से जुड़ने से विषाक्तता में परिवर्तित हो जाती है असमानता और घृणा के कारण दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ते समय सुरक्षा की आवश्यकता इंगित करती है कि लोग ऐसी परंपराओं को स्वीकार नहीं करते हैं। समाज में उन सोचों में जो व्यक्ति के लिए सम्मान और स्थान तय करती बदलाव की आवश्यकता है। केवल पुलिस की मौजूदगी से समस्या का समाधान नहीं है। समाज के हर वर्ग को जातिवाद के खिलाफ एकजुट  होना होगा।
विवाह एक सामाजिक बंधन है, जो प्यार, सामंजस्य और सहयोग का प्रतीक है। आपसी तनाव और भेदभाव को हटा कर एक स्वस्थ समाज निर्माण के लिए हमें मिलकर काम करना होगा ताकि अगली बार जब कोई बारात आए, तो उसे न केवल सुरक्षा बल्कि सामूहिक सम्मान का अनुभव हो। भारत के संविधान के अनुसार समाज को नजरिया बदल हर व्यक्ति को एक समान महत्व देना होगा, ताकि प्रेम और खुशियों की परंपरा हर किसी के लिए आनंददायक हो सके।
सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार अजमेर के एक गांव में एक बारात आनी थी, दुल्हन के परिवार ने पुलिस से कहा हमें सुरक्षा दीजिए क्योंकि हमारे यहां दूल्हे के घोड़ी चढ़कर आने पर पहले अप्रिय घटनाएं हुईं हैं, बताया जा रहा है कि 25 बाराती 30 घराती 75 पुलिस वाले थे तब जाकर दूल्हा को घोड़ी पर बैठाकर सकुशल बारात पहुंच पाई। हमारे समाज में आज भी यह गंदगी है, किसी के घोड़ी पर बैठने से क्या दिक्कत होती है।

Dr. Lokesh Shukla

Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management