मिट्टी के ईको फ्रेंडली बकरों का निर्माण
मज़हब में 'अक्ल का दखल' मना
सब सुनो एवं सबको सुनाओ! बकरा ईद के प्रदूषण से देश बचाओ
पर्यावरण की रक्षा कर समाज में सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अवस्था को बढ़ावा देता है
कानपुर जून 1, 2025
सोशल मीडिया पोस्ट से
मध्यप्रदेश भोपाल बकरा ईद से पहले संस्कृति बचाओ मंच ने इको-फ्रेंडली ईद की मांग की है मिट्टी के बकरों की कुर्बानी देकर जानवरों की जान बचाई जा सकती है।
कुर्बानी अपनी करनी चाहिए। अल्लाह के नाम पर बकरे गाय या मुर्गे की नहीं । वास्तव में कुर्बानी प्रभु चरणों में समर्पण तथा सत्य भक्ति होती है। शीश काट देने तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने से मुक्ति नहीं होती। अल्लाह कभी प्रसन्न नहीं होता।
भोपाल के मुस्लिम धर्मगुरुओं से बड़ी अपील, ईको फ्रेंडली ईद मनाने की अपील, मुस्लिम धर्मगुरुओं को पत्र लिखकर ईद से पहले संस्कृति बचाओं मंच की अपील, मिट्टी के ईको फ्रेंडली बकरों का निर्माण करवाया गया
@indiatvnews *संस्कृति बचाओ मंच की अपील मुस्लिम धर्मावलंबी प्रतीकात्मक ईद मना कर इको फ्रेंडली बकरों को कुर्बानी दे* *आओ सब मिल कर इस बार मिट्टी का बकरा क़ुर्बान करे* एक क़ुर्बानी के बाद लाखों लीटर पानीसफ़ाई में बर्बाद हो जाता है* !!इसलिए इको फ्रेंडली बकरों की कुर्बानी करें
होली-दिवाली की तरह ईद भी 'ईको फ्रेंडली'? | LIVE भाईजान मानेंगे मिट्टी के बकरों की कुर्बानी? क्या मज़हब में 'अक्ल का दखल' मना है?
बकरीद पर भोपाल में मिलेंगे ईको फ्रेंडली बकरे। संस्कृति बचाओ मंच द्वारा जो लोग सांकेतिक कुर्बानी देना चाहते हैं उन्हें मिट्टी के बने ईको फ्रेंडली बकरे उपलब्ध करवाए। आजतक
*हैदराबाद में ईदुलजुहा (बकरीद) पर सैंकड़ों, हजारों गायों, बछड़ों की कुर्बानी दी जायेगी। ये कौनसी संस्कृति है, ये कौनसी धार्मिक पुस्तक में लिखा है। जब त्यौहार का नाम बकरीद है तो बकरों की कुर्बानी होनी चाहिए, वो भी प्रतिकात्मक ईको फ्रेंडली, केक काटकर भी हो सकती है।*
*हैदराबाद में ईदुलजुहा (बकरीद) पर सैंकड़ों, हजारों गायों, बछड़ों की कुर्बानी दी जायेगी। ये कौनसी संस्कृति है, ये कौनसी धार्मिक पुस्तक में लिखा है। जब त्यौहार का नाम बकरीद है तो बकरों की कुर्बानी होनी चाहिए, वो भी प्रतिकात्मक ईको फ्रेंडली, केक काटकर भी हो सकती है।
नई दिल्ली, 31 मई . विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने ईद उल अजहा पर की जाने वाली कुर्बानी को लेकर मुस्लिम समुदाय से अपील है कि वह भी संवेदनशीलता का परिचय दें और ईको-फ्रेंडली ईद मनाएं. डॉ सुरेंद्र जैन ने शनिवार को बकरीद के नाम पर होने वाली हिंसा, क्रूरता व अवैध गतिविधियों पर विराम लगाने की मांग करते हुए कथित पर्यावरण प्रेमियों के साथ उसके पूरे ईको सिस्टम की इस मामले में चुप्पी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए....
Tufail Chaturvedi टफेल चतुर्वेदी @TufailChaturve
मुस्लिम बालिका अलीशा खान का ये संदेश
'जिस साल बकरा ईद बिना बकरे की मनेगी, उस साल दीपावली बिना पटाखों के मनाएंगे।'
सब सुनो एवं सबको सुनाओ! बकरा ईद के प्रदूषण से देश बचाओ!!
मध्य प्रदेश भोपाल मई 31, 2025
बकरीद का त्योहार मनाया 7 जून को जाएगा। इस्लामिक कैलंडर के आखिरी माह जिलहिज्जा का पहला दिन गुरुवार यानी 29 मई से शुरू हो गया है। 7 जून की सुबह बकरीद की नमाज अदा की जाएगी। संस्कृति बचाओ मंच ने इको फ्रेंडली बकरा ईद मनाने की मांग की है। अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने मुस्लिम धर्म गुरुओं से मांग की है कि इस बकरा ईद पर खून खच्चर ना करते हुए मिट्टी के इको फ्रेंडली बकरों की कुर्बानी दी जाए।
बकरीद ईद-उल-अजहा पर्व विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में मनाया जाता है। भारत के मध्य प्रदेश में, बकरीद को "इको-फ्रेंडली" तरीके से मनाने की अपील को लोकप्रियता मिल रही है। यह पहल पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रख पशुओं की देखभाल और मानवता के प्रति संवेदनशीलता को सामने लाने का प्रयास है। मध्य प्रदेश के रायसेन के संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने इको-फ्रेंडली कुर्बानी की अपील की है। उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं से अनुरोध किया है कि इस बार बकरीद पर मिट्टी से बने बकरों की प्रतीकात्मक कुर्बानी दी जाए। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि यह पशु हत्याओं से भी बचाएगा। बकरीद के पर्व को मनाने के लिए इको-फ्रेंडली तरीके को अपनाने की मांग बढ़ रही है। इसके अंतर्गत यह सुझाव दिया जा रहा है कि जैसे हम होली, दीपावली में कम पटाखे और मिट्टी की प्रतिमाएं उपयोग में लाते हैं, उसी प्रकार बकरीद पर भी प्रतीकात्मक कुर्बानी दें। पर्यावरण प्रेमी और विभिन्न संगठनों ने इस विषय पर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए अपनी कोशिशें तेज की हैं और सुझाव दिया है कि बकरीद को मनाने का तरीका पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए। इस दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए, कई स्थानों पर पोस्टर अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी बकरीद को इको-फ्रेंडली तरीके से मनाने की आवश्यकता पर चर्चा की है। उनका मानना है कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और इस पर समाज के बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए, ताकि जानवरों की कुर्बानी में जो पर्यावरणीय प्रभाव होता है, उसे कम किया जा सके। परंपरागत धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ, इको-फ्रेंडली कुर्बानी के प्रस्ताव को लोग संतोषजनक मानते हैं, यह पर्यावरण की रक्षा कर समाज में सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अवस्था को भी बढ़ावा देता है।
बकरीद को इको-फ्रेंड्ली तरीके से मनाने की मुहीम पर्यावरणीय आवश्यकता के साथ समाज में संवेदनशीलता और सहिष्णुता की भावना को प्रोत्साहित करती है।