अग्निशामक दल को स्टोर रूम में 500-500 रुपए के बडी मात्रा मे जली हुई नकदी मिली थी
जस्टिस वर्मा ने आरोपों को खारिज कर साजिश करार दिया
उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कोई नकदी नहीं रखी गई
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक जांच
दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेना
न्यायिक कार्य के बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित
सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित
कानपुर 6 मई 2025
नई दिल्ली: 5 मई 2025
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में 14 मार्च 2025 की रात को, आग लग गई थी। अग्निशामक दल को आग बुझाने के बाद स्टोर रूम में 500-500 रुपए के बडी मात्रा मे जली हुई नकदी मिली थी।
जस्टिस वर्मा ने आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया व साजिश करार दिया था तथा कहा था कि कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कोई नकदी नहीं रखी गई थी नकदी बरामदगी विवाद के परिणामस्वरूप कई कदम उठाए गए, जिनमें दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक जांच, दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेना और बाद में उन्हें न्यायिक कार्य के बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करना शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक बयान में कहा,वर्तमान न्यायाधीश "न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने 3 मई की अपनी रिपोर्ट 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को सौंप देगी।"सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने 22 मार्च 2025 को जांच समिति बनाई थी। इस समिति में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया, और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं।
समिति ने तीन मई को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया और 4 मई को मुख्य न्यायाधीश को प्रस्तुत किया।रिपोर्ट में कथित तौर पर 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद कथित नकदी विवाद पर पैनल के निष्कर्ष शामिल हैं,
28 मार्च को भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार व अनुशासन संबंधी किसी भी संभावित शिकायत की गंभीरता से जांच सुनिश्चित कर न्यायपालिका की निष्पक्षता और सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता करने के लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। । न्यायपालिका के सदस्यों पर जनता का विश्वास बनाए रखने के लिये सावधानीपूर्वक और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा कर पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण है।
24 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले सीजेआई के निर्देश के बाद न्यायाधीश से कार्य वापस ले लिया था। सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अधिसूचना जारी की थी।
22 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया। इसमें कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे।
न्यायमूर्ति वर्मा का मामला व्यक्तिगत उत्कृष्टता व समस्त न्यायपालिका की साख को प्रभावित कर राजनीतिक हलकों में संवेदनशीलता उत्पन्न कर भारत में न्यायिक भ्रष्टाचार की संभावना पर व्यापक चर्चा कर रहा है ।
यह मामला न्याय संगठनों व जनता में विश्वास को लेकर महत्वपूर्ण है।इस मामले की अगली कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है
- 07 Jun, 2025
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Dr. Lokesh Shukla
Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management
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