निर्णय भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
अदालत संसद द्वारा बनाए गए कानूनों में मनमानी दखल नहीं दे सकती
इस कानून पर रोक लगाने के लिए मजबूत मामला पेश करना होगा
संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 का बचाव करते हुए 1332 पन्नों का एक प्रारंभिक हलफनामा दायर किया था
अधिनियम की धारा 3(आर) "यदि मैं मुस्लिम पैदा हुआ हूं, तो यह साबित करने की आवश्यकता है कि मैं पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं
सोशल मीडिया पांस्ट से
News24 @news24tvchannel · 10h
"यह कानून इस तरह बनाया गया है कि बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये वक्फ संपत्ति छीन ली जाए"
◆ सुप्रीम कोर्ट में वक्फ पर सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कहा
News24 @news24tvchannel 10h
"वक्फ अल्लाह को किया गया दान है, जिसे किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता" ◆ सुप्रीम कोर्ट में वक्फ पर सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कहा
सुप्रीमDr.Meraj Hussain @drmerajhusain 9h
आज की सुनवाई पूरी हुई अभी तक याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुप्रीम कोर्ट ने सुना है, आज बहस 3 घंटा 45 मिनट चली जिसमे सिबल साहब, अभिषेक सिंघवी साहब, धवन साहब आदि ने बहस की, कल भी सुनवाई जारी रहेगी। उम्मीद है संविधान बचाने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगी। #WaqfAmendmentAct कोर्ट के कैंपस में प्रतिदिन केवल नियम कानून के नहीं बल्कि संविधान की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है, कौन है इसका जिम्मेदार..?
1961 का एडShaikh Javed @ShaikhSahab
अपने ही खेल में फंस गई मोदी सरकार, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भरे कोर्ट रूम में धज्जियां उड़ाई!
3 सवालों से सुप्रीम कोर्ट में फंसा वक्फ कानून, CJI गवई ने लिया सख्त एक्शनवोकेट एक्ट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया का रूल क्या ये सब माननीय को ध्यान नहीं??? साभार @AshwiniUpadhyay
Nashra Rizvi @NashraRizvi110 6h
वक्फ अल्लाह को किया गया दान है, जिसे किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता"
◆ सुप्रीम कोर्ट में वक्फ पर सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कहाठाकुर राघवेन्द्र सिंह राजावत (Raghu) @Raghuthakur24 · 5h वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अदालतें इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं संसद से पास कानून संवैधानिक होते है जब तक कोई बड़ी समस्या नहीं आती अदालतें संसद द्वारा पास कानून पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी....
चीफ जस्टिस बी.आर.गंवई एवं जस्टिस एसी मसीह की बेंच ने कहा
Awais Usmani اویس عثمانی @awais__usmani · 12h
CJI ने पूछा क्या वक़्फ़ प्रॉपर्टी ASI के अधीन जाने से क्या आप वहां जाकर प्रार्थना नहीं कर सकते?
सिब्बल ने कहा अगर आप कहते हैं कि वक्फ मान्यता रद्द की जाती है तो इसका मतलब अब वह प्रॉपर्टी वक्फ नहीं है, मेरा कहना है कि यह प्रावधान अनुच्छेद 25 का उल्लंघन हैFirstBiharJharkhand @firstbiharnews · 9h
अदालत संसद द्वारा बनाए गए कानूनों में मनमानी दखल नहीं दे सकती..सुनवाई में क्या बोले चीफ जस्टिस?
आकाशवाणी समाचार @AIRNewsHindi · 4h
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियमः 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा कि इस कानून पर रोक लगाने के लिए मजबूत मामला पेश करना होगा।
Suryakant @suryakantvsnl
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 25 अप्रैल को, संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 का बचाव करते हुए 1332 पन्नों का एक प्रारंभिक हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दायर किया और संसद द्वारा पारित कानून पर अदालत द्वारा किसी भी रोक का विरोध किया था. केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद पिछले महीने अधिसूचित किया था. वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया गया, जबकि 232 सांसद इसके विरोध में थे. राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 सदस्यों ने मतदान किया.
कानपुर 20 मई 2025
नई दिल्ली: 20 मई 2025सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से कई महत्वपूर्ण दलीलें पेश कीं। उनकी प्रमुख दलीलें इस प्रकार से हैं:धार्मिक स्वतंत्रता का हनन: सिब्बल ने तर्क दिया कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार प्रदान करते हैं। वक्फ कानून धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप करता है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक प्रथाओं को कमजोर करता है। विशेष रूप से, उन्होंने "वक्फ बाय यूजर" की मान्यता को रोकने वाले प्रावधान को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है यह ऐतिहासिक धार्मिक प्रथाओं को प्रभावित करता है।
वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का प्रयास: सिब्बल ने दलील दी कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने और कब्जा करने का एक सरकारी प्रयास है। यह कानून वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने और कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार देने जैसे प्रावधानों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर कब्जे का प्रयास है।
गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति का विरोध: सिब्बल ने केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि हिंदू या सिख धार्मिक संस्थानों में केवल उनके समुदाय के लोग ही सदस्य होते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन है। उन्होंने पूछा, "हिंदू या सिख बोर्ड में गैर-हिंदू या गैर-सिख क्यों नहीं, तो फिर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों?"
वक्फ बाय यूजर और पुरानी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन: सिब्बल ने "वक्फ बाय यूजर" प्रावधान को हटाने पर सवाल उठाया, जिसके तहत औपचारिक दस्तावेज न होंने पर भी लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली संपत्तियों को वक्फ माना जाता है। उन्होंने कहा कि 13वीं-16वीं शताब्दी की मस्जिदों जैसे पुराने वक्फों के पास रजिस्ट्रेशन दस्तावेज नहीं हो सकते, और नए कानून में ऐसी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन असंभव-सा है। यह प्रावधान ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों को खतरे में डालता है।
वक्फ की परिभाषा और व्यक्तिगत कानून: सिब्बल ने अधिनियम की धारा 3(आर) का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रावधान कि वक्फ बनाने वाला व्यक्ति पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो, व्यक्तिगत कानून में हस्तक्षेप है। उन्होंने सवाल उठाया, "यदि मैं मुस्लिम पैदा हुआ हूं, तो मुझे यह साबित करने की आवश्यकता क्यों है कि मैं पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं?"
संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण: सिब्बल ने तर्क दिया कि यह कानून संविधान के मूल ढांचे पर हमला है और 20 करोड़ मुस्लिमों के अधिकारों का हनन करता है। उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को कमजोर करने की साजिश है।
मुतवल्ली पर अनुचित दबाव: सिब्बल ने बताया कि 1995 के वक्फ अधिनियम में भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था, परन्तु नए कानून में गैर-पंजीकृत वक्फ को समाप्त करने और मुतवल्ली (वक्फ प्रबंधक) को दंडित करने जैसे कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं, जो अनुचित हैं।
सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह कानून न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह देश की धर्मनिरपेक्षता और एकता के लिए भी खतरा है। उनकी दलीलें मुख्य रूप से धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार, और वक्फ संस्थानों की स्वायत्तता की रक्षा पर केंद्रित थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों पर विचार करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और सुनवाई को आगे बढ़ाया है, जिसमें अंतरिम रोक पर भी विचार किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई 2025 को सुनवाई के दौरान तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया था: (1) वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति, (2) "वक्फ बाय यूजर" का प्रावधान, और (3) कलेक्टर द्वारा सरकारी भूमि की जांच। हालांकि, सिब्बल और अन्य वकीलों ने तर्क दिया कि सुनवाई को इन मुद्दों तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कानून के कई अन्य प्रावधान भी विवादास्पद हैं।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कानून को 'पूरी तरह से असंवैधानिक' बताते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि जब तक किसी कानून की संवैधानिकता पर ठोस और गंभीर आपत्ति न हो, तब तक अदालतों को उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके परिणाम सीधे उन धार्मिक स्वतंत्रताओं पर प्रभाव डाल सकते हैं जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित हैं।
कपिल सिब्बल की दलीलें वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रही हैं, जो धर्म की स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और नागरिक के धार्मिक रूप से जुड़े मामलों में राज्य के हस्तक्षेप पर केंद्रित हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में तीनों प्राथमिक मुद्दों पर केंद्रित सुनवाई को लेकर फैसला लेगी, या याचिकाकर्ताओं के अनुसार सभी पहलुओं पर विचार करेगी यह अगली सुनवाई में तय होगा।
इस मामले का निर्णय भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
- 07 Jun, 2025
Suggested:
- गैंगस्टर अजय ठाकुर
- 2025 की संवैधानिक वैधता
- इन्डिया गठबन्धन विधायक नसीमा सोलंकी
- पत्रकारव कानपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व महामंत्री भैया श्री अजय अग्निहोत्री दुःखद समाचार विनम्र श्रद्धांजलि
- एक चुनाव: व्हिप के बावजूद 20 से ज्यादा सांसद अनुपस्थिति
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- यूपी सभी चिड़ियाघर 20 मई तक बंद
- जन हित याचिका
- न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग
- इको-फ्रेंडली बकरीद

Dr. Lokesh Shukla
Dr. Lokesh Shukla, Managing Director, International Media Advertisent Program Private Limited Ph. D.(CSJMU), Ph. D. (Tech.) Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University, before 2015 known as the Uttar Pradesh Technical University, WORD BANK PROCUREMENT (NIFM) Post Graduate Diploma Sales and Marketing Management
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