• 14 Sep, 2025

भारत की प्राचीन खगोलशास्त्र से आधुनिक अंतरिक्ष मिशन तक: राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 भारत की अंतरिक्ष यात्रा का जश्न

भारत की प्राचीन खगोलशास्त्र से आधुनिक अंतरिक्ष मिशन तक: राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 भारत की अंतरिक्ष यात्रा का जश्न

- राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफलता की दूसरी वर्षगांठ
- प्रधानमंत्रीमोदी ने 2023 में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया
- उद्देश्य युवाओं को STEM में करियर के लिए प्रेरित करना
- 2025 का विषय "आर्यभट्ट से गगनयान: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाएँ"
- भारत की खगोलशास्त्रीय परंपरा और मानव अंतरिक्ष उड़ान को दर्शाता
- भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों में आर्यभट्ट से लेकर चंद्रयान-3 तक की यात्रा शामिल
- भविष्य की योजनाओं में गगनयान (2025) और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापना
कानपुर : 23 अगस्त 2025 Apni Pathshala@_ApniPathshala8h
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 भारत में 23 अगस्त 2025 को दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता की दूसरी वर्षगांठ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में इसे राष्ट्रीय दिवस घोषित किया था।
इसका उद्देश्य है: भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों को याद करना और युवाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना।
आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से ....
2025 का विषय
“आर्यभट्ट से गगनयान: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाएँ”
भारत की खगोलशास्त्रीय परंपरा से लेकर मानव अंतरिक्ष उड़ान (गगनयान) तक की यात्रा को दर्शाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
23 अगस्त 2023 – चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल सॉफ्ट लैंडिंग की।
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की तैनाती।
भारत चौथा देश और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना।
लैंडिंग स्थल को “शिव शक्ति बिंदु” नाम दिया गया।
घोषणा – पीएम मोदी ने 23 अगस्त को “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” घोषित किया।
पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (2024) – विषय था “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना:
भारत की अंतरिक्ष गाथा”।
भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियाँ : आर्यभट्ट से गगनयान
प्रारंभिक नींव (1960–70)
1962 – INCOSPAR की स्थापना (डॉ. विक्रम साराभाई)।
1969 – ISRO की स्थापना (15 अगस्त)।
1975 – आर्यभट्ट : भारत का पहला उपग्रह, सोवियत संघ से प्रक्षेपित।
स्वदेशी रॉकेट और उपग्रह युग (1980–90)
1980 – रोहिणी उपग्रह : SLV-3 से प्रक्षेपण।
1984 – राकेश शर्मा : अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय।
प्रगति और मजबूती (1990–2000)
INSAT श्रृंखला – दूरसंचार, मौसम, प्रसारण।
IRS श्रृंखला – कृषि, खनिज, जल संसाधन।
1994 – PSLV : ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान, ISRO का वर्कहॉर्स।
अन्वेषण और विज्ञान (2000–10)
2001 – GSLV : भारी उपग्रहों को ऊँची कक्षा में भेजने की क्षमता।
2008 – चंद्रयान-1 : चंद्रमा पर जल अणुओं की खोज।
वैश्विक पहचान (2010–20)
2013 – मंगलयान (MOM) : पहली ही कोशिश में सफलता, कम लागत।
2014 – GSLV Mk-III (LVM-3) : सबसे शक्तिशाली रॉकेट।
2017 – PSLV-C37 : एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपण (विश्व रिकॉर्ड)।
नई ऊँचाइयाँ (2020–अब तक)
2019 – चंद्रयान-2 : आंशिक सफलता, ऑर्बिटर अब भी सक्रिय।
2022 – SSLV : छोटे उपग्रहों के लिए।
2023 – चंद्रयान-3 : ऐतिहासिक सफलता, दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग।
2023 – आदित्य L1 : सूर्य अध्ययन मिशन।
2024 – निजी कंपनियों और अंतरिक्ष हैकाथॉन की शुरुआत।
प्रस्तावित – गगनयान (2025) भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन।
3 सदस्यीय दल 3 दिन तक अंतरिक्ष में रहेगा (300–400 किमी LEO में)।
सुरक्षित वापसी की योजना।
उद्देश्य: स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन।
भविष्य की महत्वाकांक्षा 2035 तक – भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन।
2040 तक – चंद्रमा पर भारतीय चालक दल।